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आपातकाल पर लोकसभा में दो मिनट के मौन ने क्या लिख दी संसद की घंटों बर्बादी की पटकथा? - Loksabha me Maun

THN Network


नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया तो विपक्ष ने मतदाताओं के बीच यह प्रचार किया कि मोदी सरकार की वापसी हुई तो इस बार संविधान को कुचलकर आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। विपक्ष का यह नैरेटिव कम से कम उत्तर प्रदेश में खूब चला जहां लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं। वहां विपक्ष ने अप्रत्याशित रूप से बड़ी बढ़त हासिल की और बीजेपी सिर्फ 33 सीटों पर समिट गई। कांग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गांधी इससे खासा उत्साहित हैं। वो 'मोदी सरकार में संविधान पर खतरा' के नैरेटिव पर खेलते रहने की योजना के तहत संसद में भी संविधान की प्रति लेकर पहुंचे।राहुल ही नहीं, कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने हाथ में संविधान की प्रति लेकर पद की शपथ ली। लेकिन, बुधवार को जब बीजेपी ने लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में बाजी मारी तो मामला पलट गया। अभी-अभी लोकसभा अध्यक्ष के आसन पर बैठे ओम बिरला ने अपने पहले वक्तव्य में आपातकाल की पुरजोर निंदा की। बिरला ने न केवल लंबा-चौड़ा आलेख पढ़ा बल्कि दो मिनट का मौन भी रखा। यह खासकर कांग्रेस पार्टी के जले पर नमक छिड़कने जैसा हो गया। कुछ ही समय के अंदर उसे दो मोर्चों पर जबर्दस्त मात खानी पड़ी। पहले तो उसे लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपने कदम वापस लेने पड़े, फिर संविधान के मोर्च पर मोदी सरकार को घेरने की जुगत में उसे आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव में फंसकर मुंह की खानी पड़ी।

सदन में मौन, बाहर नारेबाजी
चूंकि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष इस बार संसद में ज्यादा आक्रामक रुख रखने के मूड में दिख रही है, इसलिए मौका मिलते ही सत्ता पक्ष भी हमलावर हो गया। एनडीए के सांसदों ने पूर्व की इंदिरा गांधी सरकार के दौरान देश में लगे आपातकाल के खिलाफ सदन के अंदर और बाहर नारेबाजी की। उन्होंने एकजुटता दिखाते हुए बैनर-पोस्टर लहराकर प्रदर्शन किया। यह न केवल कांग्रेस बल्कि उसके साथी दलों के लिए भी बैकफुट पर लाने के लिए काफी है। दरअसल, आपातकाल संविधान पर ऐसा धब्बा है जिसका कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं। खासकर संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की रट के जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस को यह बता दिया कि जिसने संविधान की हत्या की हो, उसका नसीहत देना तो शोभा नहीं ही देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को संसद सत्र के पहले दिन लोकसभा पहुंचने से पहले मीडिया को संबोधन में आपातकाल पर बड़ा जोर दिया था।

चिराग पासवान का राहुल गांधी पर पलटवार
आज जब राहुल गांधी ने दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर ओम बिरला को बधाई देते वक्त उनके दायित्वों और मर्यादाओं की याद दिलाई तो जवाब चिराग पासवान की तरफ से आ गया। लोजपा(रामविलास) के अध्यक्ष और खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग ने राहुल को नसीहत दी कि संवैधानिक मर्यादाओं, संसदीय परंपराओं और सदन में पक्ष-विपक्ष के आचरणों पर बोलते हुए उन्हें खुद के गिरेबां में झांकना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत हद तक विपक्ष के व्यवहार से तय होता है कि आसन क्या निर्णय लेगा। उन्होंने राहुल गांधी के उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से जवाब दिया। अब बारी कांग्रेस पार्टी और बाकी विपक्ष की है। लोकसभा अध्यक्ष ने आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। अब गुरुवार को राष्ट्रपति का अभिभाषण होने के बाद लोकसभा में दोबारा बहस शुरू होगी तो क्या होगा?

अब और आक्रामक होगा 'जख्मी' विपक्ष?
इसका पक्का जवाब तो देना मुश्किल है, लेकिन अब आशंका इस बात की ज्यादा है कि नीट-यूजी परीक्षा में धांधली समेत अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने का मन बना चुका विपक्ष अब मौका मिलते ही और भी आक्रामक रुख अपनाएगा। इसका असर सदन की कार्यवाही पर पड़ेगा और संसद के दोनों सदन ठप होते रहेंगे। लोकसभा के अंदर का नजारा पिछले 10 वर्षों के मुकाबले बदला हुआ है। इस बार विपक्ष की गैलरी ज्यादा हरी-भरी है। अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सांसदों की संख्या का अंतर घटकर 59 रह गई है। तो इस बार विपक्ष का शोर ज्यादा गहरा होगा और सत्ता पक्ष को सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाने में कभी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।

जल्द सुनाई देगा दो मिनट के मौन का 'शोर'
लोकसभा में अपनी सीटें बढ़ाने और बीजेपी को बहुमत से रोकने में मिली सफलता से विपक्षी खेमा और खासकर कांग्रेस पार्टी काफी उत्साहित है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य प्रमुख विपक्षी नेताओं के हौसले सातवें आसमान पर दिख रहे हैं। संसद सत्र के पहले दिन से ही इंडिया ब्लॉक आक्रामक नजर आ रहा है। उसने लोकसभा अध्यक्ष पद पर आम सहमति के बदले उपाध्यक्ष पद देने की शर्त रख दी और यह नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की कि अगर विपक्ष की मांग नहीं मानी गई तो मोदी सरकार की तानाशाही ही साबित होगी। खुद राहुल गांधी ने मंगलवार को खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खूब खरी खोटी सुनाई थी। यह अलग बात है कि समीकरण नहीं साध पाने की स्थिति में उन्हें अपना रवैया बदलना पड़ा। लेकिन जिस तरह उन्हें आपातकाल के मुद्दे पर सत्ता पक्ष ने ताजा जख्म दिया है, उसका बदले में किसी ना किसी रूप में, कुछ ना कुछ जरूर आएगा। क्या? यह तो देखने की बात होगी। अभी तो यही लग रहा है कि आपातकाल की निंदा में दो मिनट के मौन ने संसद के घंटों बर्बाद करने की पटकथा लिख दी है।

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