THN Network
कोरोना महामारी और लागत में बढ़ोतरी की दोहरी मार से रेलवे का नेट रेवेन्यू (Railway Revenue) बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में रेलवे के लिए पेंशन देना मुश्किल हो रहा है और उसने एक बार फिर फाइनेंस मिनिस्ट्री से मदद की गुहार लगाई है। बिजनस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक संसद में पिछले हफ्ते पेश एक एक्शन टेकन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रेलवे पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन रेलवे से रिपोर्ट मांगी थी कि उसकी सिफारिशों पर रेलवे ने क्या कदम उठाए हैं। इसमें रेलवे ने कहा है कि 2022-23 में वह अपने दम पर पेंशन का भुगतान करने में सफल रहा लेकिन उसने स्टैंडिंग कमेटी के जोर देने पर फाइनेंस मिनिस्ट्री से थोड़ी बहुत मदद मांगी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइनेंस मिनिस्ट्री ने पहले रेलवे के अनुरोध को ठुकरा दिया था। लेकिन पैनल ने कहा था कि रेलवे को जोरशोर से यह मुद्दा फाइनेंस मिनिस्ट्री के सामने उठाना चाहिए। इसके जवाब में रेलवे ने कहा कि समिति ने पहले भी कई बार इस तरह की सिफारिश की थी लेकिन फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इसे नहीं माना था। लेकिन कमेटी ने फिर ऐसी सिफारिश की है और इसे फाइनेंस मिनिस्ट्री से इस पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। पैनल के मुताबिक 2023-24 में रेलवे को पेंशन के तौर पर 62,000 करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं। रेलवे ने इसके लिए 70,000 करोड़ रुपये रखे हैं।
रेलवे का हाल
हाल के वर्षों में रेलवे की पेंशन देनदारी में काफी बढ़ोतरी हुई है और हर साल यह खर्च बढ़ता जा रहा है। रेलवे की फ्रेट और पैसेंजर ऑपरेशंस से कमाई होती है। इससे वह कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन देता है। लेकिन पिछले कुछ साल में उसका रेवेन्यू बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कोरोना काल में लंबे समय तक ट्रेनें बंद रही। पिछले पांच साल से रेलवे का वर्किंग एक्सपेंडीचर बिल तेजी से बढ़ा है लेकिन उस अनुपात में रेवेन्यू नहीं बढ़ा है। सातवें वेतन आयोग को लागू करने और कोरोना के कारण रेलवे पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। कोरोना काल से पहले देश में रोजाना करीब 11,000 ट्रेन चलती थीं। कोरोना का प्रकोप खत्म होने के बाद रेलवे ने ट्रेनों को तो शुरू कर दिया लेकिन यात्रियों को दी जाने वाली कई तरह की छूट खत्म कर दी। इनमें बुजुर्गों को किराए में मिलने वाली छूट भी शामिल है।
0 Comments