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महिलाएं करेंगी तलाक का गलत इस्तेमाल', यूसीसी पर बोले मुसलमान

THN Network



HARYANA:देश में समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर जारी बहस के बीच इस बारे में सुझाव देने के लिए समय सीमा विधि आयोग ने बढ़ा दी है. अब लोग 28 जुलाई तक इस बारे में अपनी राय दे सकते हैं. खास बात ये है कि अब तक 50 लाख लोग इस पर अपनी राय दे चुके हैं. यूसीसी के तहत देश में सभी नागरिकों के लिए एक कानून लाया जाना है लेकिन जब इसका विरोध होता है तो बात घूम-फिरकर मुसलमानों के इर्द गिर्द की सिमट जाती है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इस मामले पर मुसलमान क्या सोचते हैं. यही जानने के लिए  हरियाणा के नूह में मुसलमानों की राय ली.


हरियाणा का नूह मुस्लिम बहुल आबादी वाला क्षेत्र है. यहां करीब 85 फीसदी मुसलमान रहते हैं. नूह के गांधी ग्राम खासखेड़ा गांव पहुंची तो शुरुआती सवालों में लोग झिझकते रहे और कुछ भी बोलने से बचते नजर आए. लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर जब सवाल हुआ तो कुछ लोगों ने  कैमरे पर बोलने से मना किया.

शरियत की आड़ में यूसीसी इनकार

आखिरकार जब बोलने को तैयार हुए तो शरियत के नाम पर यूसीसी को मानने से इनकार कर दिया. कहा कि एक इंसानी कानून है और एक इस्लामी कानून है. इंसानी कानून से हम प्यार करते हैं, लेकिन इसे इंसानों ने बनाया है. जो इस्लामी कानून है, वो आसमान से बनकर आया है और उसमें एक जर्रे का भी फर्क हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. 


यूसीसी रद्द करने की मांग करते हुए मुसलमानों ने कहा कि बगीचे की खूबसूरती अलग-अलग फूलों से है. अगर एक ही तरह से फूल लगा दिए जाएं तो खूबसूरती नहीं रहेगी. 

महिलाओं को तलाक के अधिकार पर क्या सोचते हैं मुसलमान?

अभी यूसीसा का कोई ड्राफ्ट तो नहीं आया है लेकिन सैद्धांतिक तौर पर चर्चा है कि इसमें महिलाओं को भी तलाक का बराबर अधिकार होगा. इस बात से नूह के मुसलमानों की राय अलग है. मुसलमानों ने कहा कि अगर तलाक का अधिकार औरतों के हाथ में जाएगा तो इसका गलत इस्तेमाल होगा.

महिलाओं के परदे की बात हुई तो महिलाओं की तुलना केले से की गई और कहा गया कि जब तक केले का छिलका रहता है, वो अच्छा रहता है, जैसे ही केले का छिलका उतार दो, उस पर मक्खियां आ जाती हैं. इस्लाम ने इसीलिए महिलाओं के लिए परदा दिया है. साथ ही ये भी दोहराया कि इस्लाम के कानून के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी.

चार शादी पर क्या बोले?

नूह में सलमानों ने कहा कि देश में 99 फीसदी मुसलमानों के पास एक बीवी है, ऐसे में कानून लाने की क्या जरूरत है. कुरान का हवाला देते हुए कहा कि इससे मुस्लिम विधवाओं को घर बस सकता है.

ऐसा भी नहीं कि सिर्फ बुजुर्ग या उम्रदराज लोग ही ऐसा सोचते हैं, युवाओं की राय भी कुछ ऐसी ही है. बच्चों के सवाल पर मुसलमानों ने कहा कि अगर हर कोई सोच ले कि एक ही बच्चा पैदा करना है तो देश का क्या होगा. साथ ही ये भी सवाल किया जिन लोगों के पास एक भी बच्चा नहीं है, उनका क्या होगा.

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