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इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ाना देने के चलते 2030 तक देश में पैदा हो सकते हैं एक करोड़ नए रोजगार के अवसर!

THN Network



BUSINESS: ऑटोमोबाइल सेक्टर में आने वाले दिनों में सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है. अगले 5 से 7 सालों में भारत में बिकवाली सभी टू-व्हीलर इलेक्ट्रिक होगी. वहीं भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में दुनिया का सबसे बड़े हब बन सकता है. इतना ही नहीं, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के चलते 2030 तक देश में 1 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है. 

बिजनेस चैंबर फिक्की में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से जुड़े कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री, पीएमओ के सलाहकार तरुण कपूर ने कहा कि देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल का समय आ चुका है. और ऊर्जा संरक्षण  और पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए भारत के लिए इस दिशा में आगे बढ़ना बेहद जरुरी है. उन्होंने कहा कि सरकार भी इस दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ना चाहती है. अब सरकार ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें, बस और टू-व्हीलर सड़कों पर देखना चाहती है. सरकार का मकसद भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल के मैन्युफैक्चरिंग के हब के तौर पर विकसित करना है.  तरुण कपूर ने कहा कि अगले 5 से 7 सालों में 100 फीसदी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर का लक्ष्य लेकर हमें चलना चाहिए. 

इस मौके पर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर फिक्की-यस बैंक की रिपोर्ट इंडिया@2047 जारी किया गया. इस रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर तैयार हो रहे वैल्यू चेन के चलते 2030 तक देश में 1 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2047 तक 87 फीसदी बिकने वाली नई गाड़ियां देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल होंगी. जिसमें 90 फीसदी टू-व्हीलर, 79 फीसदी पैसेंजर कारें, 92 फीसदी थ्री-व्हीलर और 67 फीसदी बिकने वाली बसें इलेक्ट्रिक होंगी. 

रिपोर्ट के मुताबिक 2047 तक कच्चे तेल के आयात में भारी कमी आएगी. ऑटोमोबाइल के द्वारा किए जाने वाले कच्चे तेल के खपत में 40 फीसदी तक की कमी आएगी जिसे विदेशी मुद्रा की बचत होगी. भारत अपने खपत के लिए 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. 

रिपोर्ट में हाई अपफ्रंट कॉस्ट, एक्सेस टू फाइनैंस, रीसेल मार्केट के अभाव और ड्यूटी स्ट्रक्चर में खामियों को ईवी को बढ़ाना देने में सबसे बड़ी चुनौती के दौर पर बताया गया है. 


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