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NEW DELHI: दिल्ली में गैंगवॉर में एक और गैंगस्टर की मौत हो गई है। गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की दिल्ली की हाई सिक्योरिटी वाली तिहाड़ जेल में हत्या हुई। सुनील उर्फ टिल्लू को साल 2015 में पहली बार गिरफ्तार किया गया। हालांकि, जो टिल्लू ताजपुरिया जुर्म की दुनिया में इतना कुख्यात था वह पहले महज एक सामान्य सा युवक हुआ करता था। बाहरी दिल्ली में एक गांव है ताजपुर। सुनील मान ताजपुर गांव का ही रहने वाला था। दिल्ली के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद सुनील ने दिल्ली के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में एडमिशन लिया।
कॉलेज में साथ पढ़ते थे गैंगस्टर गोगी और टिल्लू
ताजपुर के पास ही अलीपुर गांव भी है। इस गांव का ही एक युवक था जितेंद्र मान। सुनील और जितेंद्र बचपन से ही दोस्त थे। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद सुनील और जितेंद्र दोनों श्रद्धानंद कॉलेज में आगे की पढ़ाई शुरू करते हैं। जितेंद्र शुरू से ही वॉलीबॉल और एथलेटिक्स का बढ़िया खिलाड़ी था। साल 2007 में कॉलेज में उसे एडमिशन भी स्पोर्ट्स कोटे से ही मिला था। जितेंद्र राष्ट्रीय स्तर पर गेम्स में खेलना चाहता था। खेल के साथ ही दोनों दोस्तों ने छात्र राजनीति में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया। उसी दौरान छात्र संघ चुनाव में दोनों के बीच दुश्मनी की नींव पड़ी। आगे चल कर यह दुश्मनी गैंगवॉर में बदल गई।
कॉलेज के बाद दोनों दोस्तों की राहें जुदा हो गईं। दोस्त जितेंद्र मान उर्फ गोगी से अलग होने के बाद सुनील ने अपराध की दुनिया के लिए अपना अलग नाम रख लिया। अब उसे टिल्लू ताजपुरिया के नाम से जाना जाने लगा। उसने अपने गांव ताजपुर को अपने नाम के साथ जोड़ लिया। इसका मकसद था कि उसे अपने गांव के नाम से जाना जाए। हालांकि, हरियाणा और पंजाब समेत देश के कई हिस्सों में अपने गांव का नाम लगाने की परंपरा है। टिल्लू ने भी उसी तर्ज पर अपने नाम के साथ ताजपुरिया जोड़ लिया।
रोहिणी शूटआउट का मास्टरमाइंड
दिल्ली में साल 2013 के बाद जितेंद्र उर्फ गोगी और सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया के बीच गैंगवॉर तेज हो गई। दोनों गैंग हत्या, उगाही, और लूटपाट की कई वारदातों को अंजाम दिया। साल 2015 में इन दोनों के बीच अदावत टॉप पर थी। स्थिति यह हो गई कि टिल्लू ताजपुरिया ने जितेंद्र गोगी को निपटाने के लिए प्लान बनाना शुरू कर दिया। आखिरकार रोहिणी कोर्ट में पेशी के दौरान अपने गुर्गों से टिल्लू ने जितेंद्र गोगी की हत्या करवा दी।
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