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चीन के साथ रिश्ते बहुत खराब...सच कबूल जयशंकर ने चेताया- दुनिया पर भी पड़ेगा असर


THN Network

DELHI DESK: गलवान घाटी में हिंसक झड़प को हुए 4 साल से ज्यादा वक्त गुजर गए। तब से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी बेहिचक के कबूल कर रहे कि भारत-चीन संबंध 'काफी खराब' हैं। इतने खराब कि शायद ये दुनिया के भविष्य को प्रभावित करेगा। अमेरिका में एक थिंक टैंक के कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुध्रुवीय हो, इसके लिए जरूरी है एशिया का बहुध्रुवीय होना।भारत-चीन संबंधों को 'काफी खराब' बताते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ये रिश्ते एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और न केवल महाद्वीप बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करेंगे। न्यूयॉर्क में मंगलवार को एक थिंक टैंक के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत और चीन का एक साथ उदय वर्तमान वैश्विक राजनीति में एक 'बहुत ही अनोखी समस्या' पेश करता है।
जयशंकर ने कहा, 'एक तरह से, आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय होना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए, यह रिश्ता ... शायद दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित करेगा।' इससे पहले उन्होंने कहा था कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में '75 प्रतिशत मसलों' को हल किया जा चुका है।
थिंक-टैंक के कार्यक्रम में जयशंकर ने अपने उस बयान का मतलब भी समझाया। समझाया कि 75 प्रतिशत मसले हल होने से उनका आशय क्या है। जयशंकर ने कहा, 'जब मैंने कहा कि इसका 75% सुलझा लिया गया है - मुझसे एक तरह से मात्रा निर्धारित करने के लिए कहा गया था - यह केवल डिसइंगेजमेंट का है। तो, यह समस्या का एक हिस्सा है। अभी मुख्य मुद्दा पेट्रोलिंग का है। आप जानते हैं, हम दोनों, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक कैसे गश्त करते हैं।'


भारत और चीन चाहते हैं कि अगले महीने होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक से पहले रिश्तों में तनाव कम हो। रिश्ते सामान्य हो। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को पूरी तरह से हल करने के लिए दोनों देशों ने पिछले कुछ महीनों में राजनयिक और सैन्य वार्ता तेज कर दी है। भारत में चीन के राजदूत जू फीहोंग ने पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों देशों के रिश्ते सुधार के एक महत्वपूर्ण चरण में हैं।
जयशंकर ने कहा कि 2020 के बाद से गश्त की व्यवस्था में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा, 'इसलिए हम बहुत अधिक डिसइंगेजमेंट, विवाद वाले बिंदुओं को सुलझाने में सक्षम हैं, लेकिन कुछ गश्ती मुद्दों को हल करने की जरूरत है।'

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