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DELHI DESK: मई से जुलाई, 1999 तक चलने वाले कारगिल युद्ध के दौरान की बात है, जब भारतीय सैनिक भीषण ठंड में पाकिस्तानी फौजों को ताबड़तोड़ जवाब दे रहे थे। उस वक्त स्वदेशी बने INSAS राइफलों में अक्सर मैगजीन के फटने, जाम होने, गोलीबारी के दौरान तेल के रिसाव जैसी समस्याओं के कारण सैनिकों का कॉन्फिडेंस डगमगा जाता था। तब सरकार ने विदेश में बने मारक और सैनिकों की भरोसेमंद राइफलें मंगाने का सिलसिला शुरू किया। इसमें मेड इन इंडिया के साथ-साथ विदेशों में बनी घातक राइफलें आयात करने का फैसला किया गया। इसी कड़ी में भारत ने हाल ही में अमेरिका से 73,000 SIG 716i असॉल्ट राइफलों की खरीद का सौदा किया। ये राइफलें सेना के लिए पहले से खरीदी गईं ऐसी 72, 400 बंदूकों के जखीरे में शामिल होंगी। इसी के साथ इंडियन आर्मी के पास कुल 1,45,400 राइफलें हो जाएंगी। आइए-समझते हैं कि ये समझौता कितना जरूरी था और इन राइफलों की खासियत क्या है?
चीन-पाकिस्तान की सीमा पर इन राइफलों से लैस होंगे सैनिक
डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार, SIG 716i असॉल्ट राइफलें दरअसल 7.62x51mm कैलिबर गन होती हैं, जिनकी मारने की क्षमता 600 मीटर तक होती है। यानी ये आधे किलोमीटर दूर से ही आतंकियों या घुसपैठियों को मार गिराएंगे। उनके करीब जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये राइफलें चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर तैनात भारतीय सैनिकों को दी जाएगी।
इन राइफलों से हमारे सैनिक बन सकेंगे बेहतरीन शूटर
SIG 716i ऑटोमैटिक असॅाल्ट राइफल को अमेरिका में बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल स्नाइपर हमले में भी किया जा सकता है। यानी इन राइफलों से लैकस हमारे सैनिक बेहतरीन शूटर बन सकेंगे। इस राइफल का निशाना 100 फीसदी सटीक है यानी आतंकियों के घायल होने या भागने की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।
1 सेकेंड में ताबड़तोड़ चलती हैं 11 गोलियां
यह एक गैस ऑपरेटेड रोटेटिंग बोल्ट सिस्टम वाली राइफल है। इसके अंदर 7.62x51mm NATO ग्रेड की गोली डाली जाती है, जो बेहद घातक होती हैं। इसके एक मैगजीन में 20 गोलियां फिट की जा सकती हैं। इस असॉल्ट राइफल से एक मिनट में 700 राउंड तक की फायरिंग की जा सकती है। यानी 1 सेकेंड में औसतन 11 गोलियां ताबड़तोड़ चलती हैं, जिससे दुश्मन के हौसले पस्त हो जाते हैं। SIG 716i असॉल्ट राइफलों की मदद से 600 मीटर यानी 1970 फीट दूर बैठे दुश्मन को मारा जा सकता है क्योंकि इसके ऊपर एडजस्टेबल और रीयर ऑप्टिक्स लगाने की सुविधा होती है।
जरूरत पड़ने पर एडजस्ट की जा सकती हैं ये राइफलें
इस राइफल की लंबाई 34.39 इंच है और इसकी नली 15.98 इंच लंबी है। इसका वजन 3,820 ग्राम है। यानी यह बाकी राइफलों के मुकाबले काफी हल्की होती हैं, जिन्हें जंग या मुठभेड़ के दौरान लेकर दुश्मन का पीछा करने में आसानी होती है और सैनिक थकता भी नहीं है। ज्यादातर छोटे हथियारों में राइफल में कॉर्क साइड में लगा होता है, जिससे राइफल का बट आसानी से मुड़ता भी नहीं है। वहीं, SIG 716i असॉल्ट राइफलों में 6 ऐसे पॉइंट होते हैं, जहां से इसे जरूरत के मुताबिक एडजस्ट किया जा सकता है। ऐसे में यह आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन या सैन्य ऑपरेशनों में बेहद कारगर साबित होते हैं।
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