PATNA DESK: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और उनकी पार्टी यूं हीं राडार पर नहीं आई। उनके बयानों ने मोदी सरकार को अनकम्फर्टेबल कर दिया था। राजनीति में साफगोई तो ठीक है मगर जब आप एलायंस पर निर्भर हों तो धैर्य की जरूरत रहती है। इसकी कमी चिराग पासवान में दिखी थी। जिसका नतीजा रहा कि पार्टी में टूट की खबरें मीडिया में आने लगी। इसके बाद चिराग पासवान फूलों का गुलदस्ता लेकर अमित शाह के दरवाजे पर पहुंचे। सांसदों से वीडियो जारी जारी कराए गए। पिछले दो दिनों से सफाई पर सफाई खुद चिराग पासवान दे रहे हैं। चिराग पासवान की इंजीनियरिंग की डिग्री विवादों में आ गई। कहा जा रहा है कि चिराग को 100% स्ट्राइक का भ्रम हो गया था, जिसे बीजेपी ने दूर कर दिया।
सफल रहा बीजेपी का 'ऑपरेशन चिराग'?
चिराग पासवान ने जिस फॉर्मूले पर अपनी राजनीति शुरू की थी, लगता है अब उसी फॉर्मूले पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। चिराग पासवान सत्ता में भी बने रहना चाहते थे और पीएम मोदी और बीजेपी का विरोध भी करना चाहते थे। लेकिन हाल के घटनाक्रम से लगता है कि अब ये फॉर्मूला काम नहीं कर रहा है। चिराग पासवान ने पीएम मोदी की नीतियों पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद बीजेपी असहज हो गई और चिराग पासवान पर अंदरूनी तौर पर लगाम लगाने की कोशिशें होने लगीं।
सबसे पहले चिराग पासवान के चाचा और उनके कट्टर विरोधी पशुपति पारस की पटना में बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जयसवाल से मुलाकात हुई। फिर पशुपति पारस की दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करवाई गई। इसी बीच खबर आई कि चिराग पासवान की पार्टी में बगावत हो सकती है और उनके पांच में से तीन सांसद पार्टी छोड़ सकते हैं।
बीजेपी के चाल ने उड़ाई चिराग की नींद
चाचा के एक्शन और बीजेपी के चाल ने चिराग पासवान की नींद उड़ा दी। सबसे पहले चिराग पासवान ने फूलों की गुलदस्ता के साथ अमित शाह के दरवाजे पर दस्तक दी। बातचीत के डिटेल में चिराग ने सिर्फ इतना कहा कि मुलाकात के दौरान कई राजनीतिक बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चाएं हुई। वहां से निकलने के बाद अपने सांसदों से सफाई दिलवानी शुरू की। चिराग पासवान के सभी सांसद पार्टी में बने रहने की बात कह रहे हैं लेकिन जिस तरह से सफाई का दौर शुरू हुआ है, उससे अटकलों का बाजार और गर्म है।
दरअसल, साल 2021 में भी चिराग पासवान से नाराज होकर उनके छह में से पांच सांसदों ने बगावत कर दी थी। उस वक्त चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में पांच सांसद अलग हो गए थे और चिराग पासवान अकेले पड़ गए थे। एक बार फिर से वही स्थिति बनती दिख रही है।
सांसदों से वीडियो जारी करा रहे चिराग पासवान
चिराग पासवान अपने सांसदों से वीडियो जारी कराकर ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी में सबकुछ ठीक है। चिराग पासवान के सभी सांसदों ने वीडियो जारी करके कहा है कि वो पार्टी के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं और राजद उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश कर रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। चुनाव जीतने के बाद चिराग पासवान को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया था।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पीएम मोदी की कई नीतियों का विरोध किया था। आरक्षण में क्रिमी लेयर, लेटरल एंट्री, जातिगत जनगणना और वक्फ बोर्ड जैसे कई मुद्दों पर चिराग पासवान ने पीएम मोदी और बीजेपी से अलग स्टैंड लिया। जिसके बाद से ही लोजपा (रामविलास) में टूट की अटकलें फिर से शुरू हो गई। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (आर) के पास पांच सांसद हैं। इसमें वो एक खुद हैं। बाकी अन्य चार सांसदों में उनके एक बहनोई अरुण भारती हैं। इसके अलावा वीणा सिंह, राजेश वर्मा और शांभवी चौधरी हैं।
रातोंरात बिहार में पैदल हो गए मुकेश सहनी
विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी को कुछ इसी तरह का भ्रम मार्च 2022 में हो गया था। तब वीआईपी के सभी तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। मुकेश सहनी को कानोंकान खबर तक नहीं लगी। इस सदमे से आज तक मुकेश सहनी उबर नहीं पाए।
बीजेपी में शामिल वाले तीनों विधायक थे राजू सिंह, मिश्री लाल और स्वर्णा सिंह। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने तीनों विधायकों को मान्यता देने में जरा सा भी देर नहीं की थी। तब बोचहां विधानसभा उपचुनाव को लेकर मुकेश सहनी की बीजेपी से ठन गई थी। सिर्फ एक सीट के चक्कर में तीन विधायकों को गंवाना पड़ा था।
सोशल मीडिया पर पेश की जा रही सफाई
चिराग पासवान ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा है, 'आज की तारीख में विपक्ष के द्वारा जो ये भ्रम फैलाया जा रहा है, मेरी पार्टी और मेरे सांसदों को लेकर, वह उसी साजिश को हवा देने की सोच है जो 2021 में रची गई थी। उस वक्त भी इनलोगों को लगा था कि ये चिराग पासवान को समाप्त कर देंगे, लेकिन ना उस वक्त ये लोग चिराग पासवान को समाप्त कर पाए और ना आगे कर पाएंगे। आज की तारीख में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का हर सांसद 'बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट' की सोच को धरातल पर उतारने के लिए काम कर रहा है। अब हमलोग का ध्यान अगले साल, यानी 2025 में होनेवाले विधानसभा चुनाव पर है। जो लोग सोचते हैं कि लोजपा (रामविलास) में टूट हो, वो अपनी ख्वाहिशों को पर देने का काम कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि ऐसा हो। लेकिन, ऐसा कुछ होनेवाला नहीं है। 'काठ की हांडी' बार बार नहीं चढ़ती है। इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा।'
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