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अब EVM व‍िवाद थम गया! सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्‍या कहा अपने फैसले पर क‍ि... SC के आदेश की 10 बड़ी बातें


THN Network

NEW DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में डाले गए वोटों का वीवीपैट के माध्यम से 100 फीसदी सत्यापन की मांग की गई थी. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की दो जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया. कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि ईवीएम पर संदेह जताते हुए याचिकाएं पहले भी कोर्ट में दायर होती रही हैं. अब इस मुद्दे पर हमेशा के लिए विराम लग जाना चाहिए. आगे चलकर, जब तक ईवीएम के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत न हो मौजूदा व्यवस्था निरंतर सुधार के साथ लागू रहनी चाहिए. मतदान के लिए ईवीएम के बजाए बैलट पेपर या फिर कोई दूसरा पीछे ले जाने वाली व्यवस्था को अपनाना (जो देशवासियों के हितो की सुरक्षा न कर सके) उससे बचा जाना चाहिए.

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अपने फैसले में कहीं ये 10 बड़ी बातें

ईवीएम की प्रभावकारिता पर संदेह करने का यह मुद्दा पहले भी इस न्यायालय के समक्ष उठाया जा चुका है और यह जरूरी है कि इस तरह के मुद्दे का अब निश्चित रूप से निष्कर्ष निकाला जाए.

जब तक कि ईवीएम के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जाते, मौजूदा प्रणाली को संवर्द्धन के साथ जारी रखना होगा

कागजी मतपत्रों या ईवीएम के किसी भी विकल्प को वापस लाने के प्रतिगामी उपायों से बचना होगा जो भारतीय नागरिकों के हितों की पर्याप्त रूप से रक्षा नहीं करते हैं.

सिस्टम या संस्थानों के मूल्यांकन में संतुलित परिप्रेक्ष्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है, सिस्टम के किसी भी पहलू पर आंख मूंदकर अविश्वास करना अनुचित संदेह पैदा कर सकता है और प्रगति में बाधा डाल सकता है.

इसके बजाय, सार्थक सुधार के लिए जगह बनाने और सिस्टम की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य और कारण द्वारा निर्देशित एक महत्वपूर्ण लेकिन रचनात्मक दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए.

चाहे नागरिक हों, न्यायपालिका हों, निर्वाचित प्रतिनिधि हों, या यहां तक ​​कि चुनावी मशीनरी भी हो, लोकतंत्र खुले संवाद, प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सक्रिय रूप से प्रणाली में निरंतर सुधार के माध्यम से अपने सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाने का प्रयास लोकतांत्रिक प्रथाओं में भागीदारी करने के बारे में है.

हमारा दृष्टिकोण सार्थक सुधारों के लिए जगह प्रदान करने के लिए साक्ष्य और कारण द्वारा निर्देशित होना चाहिए.

विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर, हम अपने लोकतंत्र की नींव को मजबूत कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सभी नागरिकों की आवाज़ और पसंद को महत्व दिया जाए और उनका सम्मान किया जाए.

प्रत्येक स्तंभ की मजबूती के साथ, हमारा लोकतंत्र मजबूत और लचीला है.
मैं इस आशा और विश्वास के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं कि प्रचलित प्रणाली मतदाताओं को विफल नहीं करेगी और मतदान करने वाली जनता का जनादेश वास्तव में डाले गए और गिने गए वोटों में प्रतिबिंबित होगा.

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