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गंगा के प्रति श्रद्धा व निष्ठा मिटने नहीं दे रही अस्तित्व : राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला

THN Network


विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोग घरों में रखने के लिए भारत से ले जाते हैं गंगाजल

गंगा की अविरलता व निर्मलता के लिए हजारों करोड़ खर्च कर रही केंद्र सरकार 




BINOD KARN

GORAKHPUR : हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि गंगा के प्रति श्रद्धा व निष्ठा बनी रहेगी तब तक जीवनदान का अस्तित्व कायम रहेगा। वे 3 फरवरी 24 को गोरखपुर के सुभाष नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में गंगा समग्र व्दारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यकर्ता समागम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा का प्रवाह भले ही बाधित हुआ है। जल प्रदुषित व सिकुड़ गई कम है लेकिन आस्था में कोई कमी नहीं आयी है। यही वजह है कि विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भारत से गंगाजल मंगाकर घरों में रखते हैं। क्योंकि भारत की आत्मा गंगा है। इतना ही नहीं काशी में गंगा में डुबकी लगाने लोग जब पहुंचते हैं तो ये नहीं देखते कि पानी साफ है या काला। 
श्री शुक्ल ने कहा कि केंद्र में भाजपानित नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इससे गंगा में प्रवाह बढ़ा और जल स्वच्छ भी हुआ है। लेकिन सिर्फ सरकारी प्रयास से इसमें पूर्ण सफलता नहीं मिल सकती। इसके लिए जनजागरण बहुत जरूरी है। हमें प्रसन्नता है कि गंगा समग्र के निष्ठावान कार्यकर्ता इस पुनीत कार्य में लगे हैं। 



उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता के लिए सबसे पहले पं. मदन मोहन मालवीय ने संघर्ष किया था लेकिन बाद के वर्षों में शिथिलता आ गई। अब गंगा समग्र ने जो जनजागरण अभियान चलाया है उसमें सफलता मिलना तय है। उन्होंने कहा कि ईश्वर का साकार रूप हम गंगा में देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी नदियां गंगा में मिलती है और गंगा समुद्र में गंगा सागर के समीप मिल जाती है। छोटी-छोटी नदियों से गंदगी गंगा को प्रदुषित करते हुए समुद्र में फैला रही है। आज करोड़ों टन कचड़ा समुद्र से निकाला गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद अमृत सरोवर की खुदाई व पुराने तालाब को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इससे भू-जलस्तर उपर आया है। इसी तरह प्रयास चलता रहा तो निश्चित रूप से गंगा अपने पुराने अस्तित्व में आ जाएगी और गंगाजल वर्षों तक घर में रखने पर भी स्वच्छ रहेगा। इसलिए गंगाजल को अमृत कहा गया है।

गंगा की गंदगी मानवकृत तो मानव को ही करनी होगी साफ-सफाई: रामाशीष जी

गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा है कि गंगा की गंदगी मानवकृत है तो साफ-सफाई भी मानव को ही करनी होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृति ने नदियों को प्रदुषित किया है। उनकी संस्कृति है पहले गंदा करो फिर साफ। अमेरिका के सात नदियों में अभी ऐसा ही चल रहा है।
उन्होंने कहा कि गंगा के प्रदुषित होने के तीन प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा आस्थाओं में विकृतियां आने के कारण ढेर सारी समस्याएं आयी है। पूजा के लिए मूर्तियां बनाई जाती है और विसर्जन के बाद उसे नदियों में डाल देते हैं। इसे आस्था में विकृति नहीं कहें तो क्या कहें। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय है कि छोटी-छोटी नदियां विलुप्त हो रही है। कई का तो अस्तित्व समाप्त हो गया है। तालाब की सफाई भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितना गंगा व अन्य नदियों का। उन्होंने कहा कि जलकुंभी नदियों में नहीं उगता है। वह तालाब में उगता है और बाढ़ के साथ नदी व गंगा के माध्यम से समुद्र तक पहुंच जाती है। इसलिए नदियों के साथ-साथ तालाबों को भी साफ-सफाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए संकल्प की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उद्योग हमारे लिए जरूरी है लेकिन उद्योगिक प्रदुषण के खतरे को भी हमें देखना और समझना होगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ लल्लू बाबू ने कहा कि गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आयी। साथ ही पाताल यानी भू के नीचे भी बहती है। हम भू-जल का उपयोग करते हैं। जल ही जीवन सिर्फ कहने को नहीं सच्चाई है। उन्होंने कहा कि देवतुल्य कार्यकर्ता जब इसमें लग गए हैं तो सफलता मिलना निश्चित है। 
राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम ने संचालन करते हुए गंगा ही नहीं नदियों के उपर मंडरा रहे खतरे से आमलोगों को जागृत करने में गंगा समग्र की भूमिका पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मौके पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला को मिथिला पेंटिंग में बने मां गंगा की तस्वीर से गंगा समग्र के जिला संयोजक मधुबनी लोकहित सेवा संस्थान के सचिव प्रो.
महेंद्र लाल कर्ण ने सम्मानित किया गया।

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