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SUV हो या MPV, खरीदने के लिए अब चुकानी पड़ेगी ज्यादा कीमत, जानें वजह

THN Network


BUSINESS: एसयूवी या बाकी कारों पर 22 फीसदी सेस को लेकर जो कन्फ्यूजन थी, वो दूर कर दी गयी है. अब सभी यूवी, चाहे वे एसयूवी हों या किसी भी प्रकार की बॉडी वाली हों, उन्हें 22 प्रतिशत सेस वाली केटेगरी में शामिल किया गया है. इसका मतलब अब एसयूवी और एमयूवी एक ही ब्रैकेट के अंदर आएंगे. लेकिन इसका मतलब ये भी होगा कि 20 प्रतिशत सेस वाली कुछ एसयूवी की कीमत, 22 प्रतिशत सेस केटेगरी वाली से ज्यादा नहीं होगी.

एसयूवी, एमपीवी, एमयूवी आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन बेसिक पैरामीटर के हिसाब से गाड़ी की लंबाई 4,000 मिमी से ज्यादा, 170 मिमी से ज्यादा का अनलोडेड ग्राउंड क्लीयरेंस और 1.5 लीटर से ज्यादा का इंजन डिस्प्लेसमेंट शामिल है. इन कारों पर अब 28 प्रतिशत जीएसटी के अलावा 22 प्रतिशत कम्पेनसेशन सेस भी लगेगा. जबकि पहले केवल स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल्स के नाम से जाने जाने वाली कुछ गाड़ियों पर 22 प्रतिशत cess लगता था. हालांकि ये क्लियर है, सेडान गाड़ियां ऊंचे सेस के अंदर नहीं आएंगी. जबकि हाइक्रॉस जैसी हाइब्रिड कारों पर अभी भी 15 प्रतिशत की कम दर से सेस लगेगा. लेकिन हाई सेस ब्रैकेट में एक साथ रखे जाने पर एमपीवी कुल मिलाकर ज्यादा महंगे हो जाएंगे. इसके चलते कुछ एसयूवी की कीमतों में बढोतरी भी देखने को मिलेगी. क्योंकि उनका अनलोडेड ग्राउंड क्लीयरेंस मानको को पूरा करता है.


नियम के अनुसार, कम इंजन आकार वाली कॉम्पैक्ट एसयूवी इस केटेगरी में फिट नहीं होंगी, जबकि बड़ी एसयूवी और एमपीवी इसमें फिट हो जाएंगी. इसका मतलब यह भी है कि एसयूवी का मतलब अब लदी या बिना लदी कार के ग्राउंड क्लीयरेंस के साथ क्लियर है और इसी के चलते मारुति या हुंडई जैसी पॉपुलर गाड़ियों की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. लेकिन टक्सन, महिंद्रा स्कॉर्पियो-एन और टाटा सफारी जैसी एसयूवी की कीमत में संभावित बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. 


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