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पाकिस्तानी US इकोनॉमी की बजा रहे बैंड, खतरे में IMF डील

THN Network



FOREIGN DESK: पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था बुरी तरह से चरमराई हुई है. हालत यह हैं कि पड़ोसी देश में कब श्रीलंका जैसी स्थिति पैदा हो जाए यह किसी को भी नहीं पता. विदेशी मुद्रा भंडार खत्‍म होने को है. महंगाई सातवें आसमान पर है. इसी बीच पाकिस्‍तान के लिए एक और बुरी खबर आई है. खबरों की मानें तो पाकिस्‍तान फिर से फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्‍ट में जाने की ओर आगे बढ़ रहा है. शाहबाज शरीफ सरकार का अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ बेलआउट प्रोग्राम भी खतरे में पड़ सकता है. इस बार हवाला के माध्‍यम से हो रही डॉलर की खरीद-फरोख्त पाकिस्‍तान के लिए सिरदर्द बन गया है.

खबरों की मानें तो पाकिस्‍तान में अमेरिकी डॉलर बाजार भाव से कई अधिक कीमत पर हवाला नेटवर्क के जरिए ट्रेड हो रहा है. फिलहाल अमेरिकी डॉलर का आधिकारिक बैंक रेट 285 पाकिस्‍तानी रुपया है. इसके बावजूद पाकिस्‍तान की ओपन मार्केट में अमेरिकी डॉलर को 315 से 320 रुपये में बेचा जा रहा है. खबरों की मानें तो पाकिस्‍तान में हवाला नेटवर्क के माध्‍यम से डॉलर का ट्रेंड काफी ज्‍यादा बढ़ गया है. अधिकारिक बैंक रेट से 30 से 35 रुपये प्रति डॉलर अधिक कीमत पर पाकिस्‍तान में हवाला के जरिए डॉलर का ट्रेड हो रहा है. इस तरह अमेरिकी इकनोमी को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, “अगर इस्‍लामाबाद ने अपनी ग्रे मार्केट में बिक रहे अमेरिकी डॉलर के खिलाफ उचित कदम नहीं उठाए और फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स की गाइडलाइंस का पालन नहीं किया तो पाकिस्‍तान को ग्रे लिस्‍ट में भी डाला जा सकता है. इस बार पाकिस्‍तान के लिए एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट से बाहर आना बेहद मुश्किल हो जाएगा.” पाकिस्‍तान बड़ी मुश्किलों का सामना करने के बाद बीते साल एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट से बाहर निकला है. चार साल तक पड़ोसी देश आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखने वाली इस अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था की ग्रे लिस्‍ट में रहा. अगर एक बार फिर पाकिस्‍तान ग्रे लिस्‍ट में जाता है तो यह उनके लिए महंगाई में आटा गीला होना जैसा हो जाएगा.

बताया जा रहा है कि विदेशों में रह रहे पाकिस्‍तानी अपने देश की मुसीबत को बढ़ा रहे हैं. दरअसल, हवाला के माध्‍यम से वो अमेरिकी डॉलर अपने देश में भेज रहे हैं. ऐसा करने से वो सर्विस चार्ज, एक्‍साइज ड्यूटी और अन्‍य टैक्स से बच जाते हैं. पाकिस्‍तान पहले ही इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 6.7 बिलियन के बेल आउट प्रोग्राम पर काम कर रहा है. इस तरह की चीजों से पड़ोसी देश को आईएमएफ से मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा.


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