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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए उठाएंगे उचित कदम - Supreme Court

THN Network


NEW DELHI. धर्मांतरण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. केंद्र सरकार अपना पक्ष रखते हुए हलफनामा पेश कर दिया है. केंद्र सरकार ने भी इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा है कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी, धोखे, जबरदस्ती, प्रलोभन या ऐसे अन्य माध्यमों से धर्मांतरण करने का अधिकार शामिल नहीं है.

केंद्र का कहना है कि इस प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए 9 राज्यों ने हाल के वर्षों में कानून पारित किए हैं. ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा ऐसे राज्य हैं जहां पहले से ही धर्मांतरण पर कानून है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, महिलाओं और आर्थिक तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों सहित समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस तरह के अधिनियम आवश्यक हैं.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मामले की सुनवाई की. 14 नवंबर को इस मामले में पिछली सुनवाई हुई थी. तब सर्वोच्च ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और 22 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि छल-बल और लोभ-लालच से कराए जाने वाला धर्मांतरण (मतांतरण) बेहद गंभीर है. अगर इसे नहीं रोका गया तो स्थिति मुश्किल हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर यह सुनवाई हो रही है. याचिका में धर्म परिवर्तनों के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून बनाए जाने की मांग की गई है. बता दें, जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कुछ भाजपा शासित राज्यों ने कानून बनाए हैं और सजा के प्रावधान किए हैं. इस मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

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