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भागलपुर। अंग प्रदेश की मंजूषा कला और यहां की चादरों को अब नया बाजार मिलने वाला है। चीन के शंघाई शहर में जल्द ही इसकी शहनाई सुनाई पड़ेगी। वहां से भागलपुर पहुंचे दो चीनी युवा यहां से तसर पर अंकित मंजूषा का इतिहास और विस्कोज कपड़े से बनवाए हुए शर्ट-कुर्ते अपने साथ ले गए हैं। साथ ही साथ आगे के लिए आर्डर भी दे गए हैं।
फिलहाल, अभी एक बुनकर के माध्यम से मंजूषा लोक कला, सिल्क के वस्त्र, भागलपुरी चादर चीन के बाजार में पहुंचे हैं। आने वाले समय में यह रोजगार के लिए यहां के हजारों बुनकरों के लिए नया द्वार खोलेगा।
चंपानगर के रहने वाले बुनकर हेमंत कुमार ने बताया कि बेंगलुरु के गणेश के साथ में चीन के दो यात्री भागलपुर पहुंचे थे। उनके नाम झियांग और सी चीयांग थे।
तसर पर बनी मंजूषा पेंटिंग, जिन्हें अपने साथ ले गए चीनी युवा।
हेमंत ने बताया कि उन लोगों ने मंजूषा लोक कला, बिहुला बिषहरी व भागलपुर के सिल्क से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लंबे समय तक बातचीत की। उन्हें मंजूषा कला के वास्तु और रंग विज्ञान के बारे में बताया गया।
साथ ही साथ सिल्क के कपड़े कैसे तैयार होते हैं, वह दिखाया गया। हेमंत ने बताया कि गणेश उनके ट्रांसलेटर के रूप में थे। दोनों बिहार दर्शन के दौरान भागलपुर पहुंचे थे।
बुनकर व हेमंत के साथ चीनी युवक झियांग (बीच में)
बेंगलुरु के कारोबारी गणेश ने बताया कि वे जब भी चीन से भारत आते हैं तो पिछले कुछ वर्षों से भागलपुर भी आ जाते हैं। यहां से वह सिल्क के कुछ कपड़े, चादर, मंजूषा पेंटिंग आदि शंघाई ले गए थे। वहां पर उनकी काफी मांग हुई। गणेश पिछले 20 वर्षों से शंघाई में रह रहे हैं। वहां पर वह योग और संस्कृति की शिक्षा देते हैं।
उन्होंने बताया कि 2025 के फरवरी-मार्च में मंजूषा और अंग संस्कृति से जुड़ी चीजों पर शंघाई में वे प्रदर्शनी लगा रहे हैं। इसको लेकर जो भी फार्मेलिटी है, वह पूरी की जा रही है। इससे यहां के सिल्क को एक नया बाजार मिलेगा।
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