NEW DELHI DESK: लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति थोड़ी बेहतर करने वाली कांग्रेस को अपना घर संभालने में दिक्कत आने लगी है. पार्टी के एक बड़े नेता ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है. उसने सीधे तौर पर केंद्रीय नेतृत्व से कहा दिया है कि वह अपने साथियों के साथ सड़क पर उतरेंगे. आंदोलन की राह पर रहेंगे. लेकिन, अन्याय से समझौता नहीं करेंगे. ये वे नेता हैं जो कुछ ही समय पहले तक गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंदों में शामिल थे.
इस नेता का नाम है अधीर रंजन चौधरी. 17वीं लोकसभा में सदन में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी इस समय पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं. उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ अपना गुस्सा सार्वजनिक किया. अधीर ने फेसबुक पर पोस्ट कर परोक्ष रूप से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधा. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह किसी भी तरह से तृणमूल से समझौता करने को तैयार नहीं हैं. अधीर के इस फेसबुक पोस्ट के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं.
अधीर ने फेसबुक पोस्ट में साफ लिखा कि जो कार्यकर्ता दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं. पार्टी का झंडा लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें दिल्ली में फोन नहीं आता! अगर ये राजनीति है, वो राजनीति मेरे लिए नहीं है तो मैं अपने साथियों के साथ सड़कों पर रहूंगा, आंदोलन पथ पर रहूंगा.
अपनी बात पर अड़े अधीर रंजन
इस बीच सूत्रों के कहना है कि अधीर रंजन अपनी बात पर अड़े हुए हैं. उनकी बात न तो राहुल गांधी सुन रहे हैं और न ही सोनिया गांधी. हालांकि एक बार सोनिया गांधी ने उनसे मुलाकात की. लेकिन, उसके बाद से अधीर रंजन के बार-बार के अनुरोध के बावजूद सोनिया भी उनसे नहीं मिल रही हैं.
अधीर ने हमेशा से ही तृणमूल के साथ किसी भी तरह के गठबंधन या सीट समझौते का विरोध किया है आखिर में उन्हें बहरामपुर से तृणमूल के यूसुफ पठान से हार गए. दरअसल, बीते सोमवार को आलाकमान ने दिल्ली में प्रांतीय नेताओं की बैठक बुलाई थी. उस बैठक से यह साफ हो गया कि अधीर को प्रांतीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. हालांकि अधीर ने आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत किसी भी नेता ने उन्हें पहले से कुछ नहीं बताया.
फेसबुक पोस्ट में जाहिर किया गुस्सा
मंगलवार शाम को किए गए फेसबुक पोस्ट में अधीर ने लिखा, ‘जिन कार्यकर्ताओं को दिन-रात तृणमूल पीट रही है, उनके लिए हम नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा? सत्ताधारी तृणमूल हर दिन हमारी पार्टी को तोड़ रही है!’ उन्होंने इंडिया गठबंधन में शामिल होकर हम पर अत्याचार करना बंद नहीं किया! तृणमूल इस राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी है, क्या उन्होंने हमारे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बख्शा है? आज भी हमारे कार्यकर्ता जेल में हैं, झूठे मुकदमों के बोझ से दबे हुए हैं, हमारी पार्टी कार्यालय पर कब्ज़ा कर लिया है, कोई रोक नहीं रहा है! तो मैं जमीनी स्तर के लोगों के खिलाफ कैसे चुप रह सकता हूं, अगर मैं ऐसा करता हूं तो यह मेरे सहयोगियों के साथ अन्याय होगा! मैं नहीं कर सकता.’
अधीर ने सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व के लिए लिखा, ‘दिल्ली को उन कार्यकर्ताओं से बात करनी चाहिए जो दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं, पार्टी का झंडा लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी राय भी जाननी चाहिए. उन्हें भी दिल्ली बुलाने की जरूरत है.’ मैं अपने सभी साथियों के साथ सड़क पर रहूंगा, आंदोलन की राह पर रहूंगा, अन्याय से समझौता करना मैंने न सीखा है, न करूंगा.’
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