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नीतीश CM की कुर्सी पर रहेंगे या जाएंगे आज Floor Test से पहले ही तय हो जाएगा



विकास वर्मा 


स्पीकर अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी बची तो नीतीश कुमार की कुर्सी जाएगी 

नीतीश सरकार का भविष्य सोमवार को बिहार विधानसभा में Floor Test से पहले ही तय हो जाएगा। वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहेंगे या इस्तीफा देंगे, इसका फैसला स्पीकर अवध बिहारी चौधरी पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से ही हो जाएगा।
दरअसल, बिहार विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है। लिहाज़ा विधानसभा में आज सबसे पहले राज्यपाल का अभिभाषण होगा। राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सबसे पहले बिहार विधानसभा के स्पीकर अवध बिहारी चौधरी पर सत्ता पक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। इसी वोटिंग से तय हो जाएगा कि विधानसभा में सरकार के पास बहुमत है या नहीं। यदि स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो इसका सीधा मतलब होगा कि सरकार के पास विधानसभा में बहुमत है। और अगर अविश्वास प्रस्ताव गिर गया तो ना सिर्फ स्पीकर अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी बच जाएगी, बल्कि यह भी उसी वक्त स्पष्ट हो जाएगा कि नीतीश सरकार को विधानसभा में बहुमत नहीं है। यदि स्पीकर की कुर्सी बच गई तो माना जा रहा है कि नीतीश कुमार Floor Test से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। यदि स्पीकर की कुर्सी गई तो इसका मतलब होगा कि सरकार के पास विधानसभा में बहुमत है। इस लिहाज़ से आज सभी की निगाहें स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग पर रहेगी। इसलिए विपक्षी खेमा RJD, Congress, CPI-ML, CPI, CPM इस कोशिश में जुटा है कि किसी भी तरह स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को पारित नहीं होने दे।

स्पीकर को हटाने के लिए सत्ता पक्ष को 122 विधायकों का समर्थन चाहिए 

स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस BJP के वरिष्ठ MLA नंद किशोर यादव ने दिया है। 243 सदस्यों वाले बिहार विधानसभा में स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए इसके आधे से अधिक यानी 122 विधायकों को प्रस्ताव के समर्थन में वोट देना होगा। यदि इससे एक वोट भी कम हुआ तो अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा और स्पीकर अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी बच जाएगी। ऐसा होते ही विपक्षी दल नीतीश कुमार सरकार के अल्पमत में होने के आधार पर तुरंत इस्तीफा मांगेंगे। माना जा रहा है कि अगर स्पीकर अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी अगर बच गई तो नीतीश कुमार की कुर्सी जाना तय है।

 24 साल बाद फिर नीतीश कुमार बहुमत के आंकड़े में उलझे?

रिकॉर्ड नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार अपने सबसे कठिन राजनीतिक दौर से गुजर रहे हैं। लगभग 24 साल पहले साल 2000 के मार्च में जब नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो बहुमत के आंकड़े में फंस गए थे। उन्हें एक हफ्ते बाद ही विधानसभा में Floor Test से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, क्योंकि विधानसभा में बहुमत साबित करने लायक विधायक वह नहीं जुटा सके थे। उस वक्त भी नीतीश कुमार को बहुमत साबित करने के लिए जोर आजमाइश करना पड़ा था, लेकिन वह बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सके थे, लिहाज़ा विधानसभा का सामना करने से पहले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। आज 24 साल बाद फिर नीतीश कुमार करीब-करीब उसी स्थिति में पहुंच गए हैं। विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए  विधायकों को जुटाने में नीतीश कुमार को दिन-रात एक करना पड़ रहा है। इसके बावजूद रविवार देर रात तक उनकी पार्टी JD (U) के कम से कम पांच विधायक उनके साथ नहीं थे। यानी JD (U) के पास विधानसभा में कुल 45 विधायकों में से 40 विधायक ही इस वक्त उनके खेमे में हैं और पांच विधायक उनके खिलाफ RJD खेमे में जाने की खबर है। पटना में पाॅलिटिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यही स्थिति सोमवार को विधानसभा में भी रहा तो कुछ भी हो सकता है। यानी नीतीश सरकार गिर भी सकती है।

 नीतीश के सामने क्या-क्या राजनीतिक विकल्प हैं?

पलटीमार पाॅलिटिक्स के माहिर खिलाड़ी नीतीश कुमार को सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है। इससे पहले स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी और उसी वक्त यह तय हो जाएगा कि नीतीश सरकार के पास विधानसभा में बहुमत है या नहीं। अगर बहुमत के लायक आंकड़ा नीतीश नहीं जुटा सके तो संभव है कि वह विधानसभा में Floor Test से पहले ही राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। ऐसी स्थिति में एक और खेल जो नीतीश कुमार कर सकते हैं वह विधानसभा भंग करने की सिफारिश का। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा कि किसी अल्पमत सरकार के मुख्यमंत्री की सिफारिश को गवर्नर मान लें। क्योंकि विधानसभा भंग करने का फैसला गवर्नर सरकार बनाए जाने तमाम संभावनाओं को टटोलने के बाद कोई विकल्प नहीं बचने की स्थिति में ही ले सकते हैं। हालांकि ये सब आज विधानसभा में परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

(लेखक विकास वर्मा वरिष्ठ पत्रकार और www.tophindinews.com के Editor-in-Chief हैं)


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