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BUSINESS: राजस्थान में कोयले का संकट अभी बरकरार है. हालांकि प्रदेश की थर्मल पावर प्लांट्स की 23 में में से 21 यूनिटों में अभी विद्युत उत्पादन जारी है. लेकिन इनमें से दस यूनिटों में प्रतिदिन आ रही कोयले की खेप उसी दिन खप रही है. इसके चलते इन दस यूनिटों के पास अगले दिन का कोई इंतजाम नहीं है. अभी कोल इंडिया से आ रहे कोयले से राजस्थान की थर्मल यूनिट्स में बिजली उत्पादन हो रहा है. लेकिन राजस्थान के हिस्से की छत्तीसगढ़ कोयला माइंस से अभी कोयला नहीं आ रहा है.
इन 21 यूनिट में फिलहाल 5800 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. वहीं मांग जनवरी के दूसरे पखवाड़े में पहले पखवाड़े के मुकाबले अधिक हो गई है. सूत्रों के मुताबिक शेष 13 यूनिट्स में 2 से 4 दिन के कोयला का स्टॉक है. अगर छत्तीसगढ़ से आपूर्ति नहीं हुई तो ये यूनिट्स भी प्रतिदिन की सप्लाई और खपत की स्थिति में आ जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो फिर बिजली संकट आना तय है. फिलहाल सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 250-250 मेगावाट की दो इकाइयों में उत्पादन पहले से ही ठप है.
हालांकि राजस्थान में उपजा कोयला संकट सामने आने के बाद मंगलवार रात को ही सीएम भजनलाल शर्मा और ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर इसका समाधान खोजने के लिए दिल्ली चले गए हैं. उन्होंने वहां आज केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात कर राजस्थान को इस संकट से उबारने के लिए बातचीत की है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय उर्जा मंत्री और कोयला मंत्री ने सीएम को मदद का आश्वासन दिया है. इस दौरान कोल इंडिया से कोयले की अतिरिक्त रैक देने पर भी सहमति बनी है.
राजस्थान को फिलहाल कोयले की रोजाना 21 रैक जरुरत है. लेकिन उसे मांग के मुकाबले केवल 17 रैक कोयला रोजाना मिल रहा है. मांग और आपूर्ति में चार रैक का चल रहा अंतर कम नहीं हुआ तो 13 थर्मल यूनिट्स में बचा हुआ स्टॉक भी जल्द ही निपट जाएगा और हालात बिगड़ जाएंगे. लिहाजा अब राजस्थान को अतिरिक्त कोयले की सख्त जरुरत है.
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