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न जाम, न सिग्नल, एफिल टावर से 17 गुना ज्यादा मजबूत, सबसे लंबा समुद्री ब्रिज, जानिए- अटल सेतु की पूरी कहानी

THN Network


MUMBAI:
समंदर पर देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन हो गया है. मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने वाला समंदर पर बना ये सबसे बड़ा पुल है, जिससे अब घंटों का सफर मिनटों में ही पूरा किया जा सकता है. पुल का नाम है-  अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु. दुनिया का 12वां सबसे लंबा पुल है.

सड़क के रास्ते मुंबई से नवी मुंबई की दूरी लगभग 42 किलोमीटर है. इस दूरी को तय करने में लगभग दो घंटे का समय लग जाता है. अटल सेतु पुल से अब ये दूरी केवल 20 मिनट (21.8 किमी) में तय की जा सकती है. 6 लेन वाले हाइवे पर न किसी जाम का झंझट और न ही कोई रेड लाइट है.

यह भारत का पहला समुद्री पुल है जिसमें ओपन रोड टोलिंग (ORT) सिस्टम लगा है. यानी कि गाड़ियां 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टोल से गुजर सकती है. किसी भी गाड़ी को टोल पर रुकने की जरूरत नहीं. 

पेरिस के एफिल टॉवर से 17 गुना ज्यादा मजबूत
अटल सेतु ब्रिज मजबूती के मामले में भी किसी से कम नहीं है. दावा है कि भूकंप, तूफान, चक्रवात या तेज हवा चलने की स्थिति में भी मजबूती से खड़ा रहेगा. इसे बनाने में करीब 1.78 लाख मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है. 5.04 लाख मीट्रिक टन सीमेंट लगा है. इसकी लाइफ अगले 100 साल तक रहेगी. 


बताया जा रहा है कि पेरिस के एफिल टॉवर की तुलना में 17 गुना ज्यादा स्टील लगा है. कोलकाता के हाबड़ा ब्रिज से चार गुना स्टील लगाया गया है. यही नहीं, कंक्रीट भी अमरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से छह गुना ज्यादा इस्तेमाल हुआ है.

10 देशों की मदद से बना ब्रिज
'अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु' 10 देशों के एक्सपर्ट और 15 हजार स्किल्ड वर्कर्स ने मिलकर तैयार किया गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान सात मजदूरों की जान भी चली गई.

पुल निर्माण के दौरान पर्यावरण का खयाल रखा गया और समुद्री जीवों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया गया. पुल पर ऐसी खास लाइटें लगाई गई हैं जो सिर्फ पुल पर पड़ेंगी. समुद्री जीवों को इससे नुकसान नहीं होगा.

अटल सेतु बनाने में अत्याधुनिक और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसमें एक इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, वीडियो इंसिडेंट डिटेक्शन सिस्टम, स्पीड एनफोर्समेंट सिस्टम, इमरजेंसी कॉल बॉक्स और बहुत कुछ शामिल है. 

समुद्र तल से पुल की ऊंचाई 15 मीटर है. इसे बनाने के लिए इंजीनियरों और मजदूरों को समुद्री हिस्से में लगभग 47 मीटर नीचे तक खुदाई करनी पड़ी.

100 KM प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेंगी गाड़ियां
अटल सेतु की कुल लंबाई करीब 22 किमी है. ये छह लेन का 27 मीटर चौड़ा समुद्री पुल है यानी कि 3-3 लेन दोनों साइड. दो इमरजेंसी एग्जिट लेन है. समंदर के ऊपर 17 किमी का 6 लेन हाइवे बना हुआ है और जमीन पर करीब 5 किमी है. समंदर पर देश के सबसे लंबे पुल को बनाने पर कुल 17,840 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा आया.

इसपर अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाने की अनुमति है. हालांकि समुद्री ब्रिज पर भारी वाहन, बाइक, ऑटो रिक्शा और ट्रैक्टर की अनुमति नहीं है. कार, टैक्सी, हल्के वाहन, मिनीबस और टू-एक्सल बसों ही सफर कर सकते हैं.

कहां से कहां तक का सफर हुआ आसान
अटल सेतु दक्षिण मुंबई के सेवरी से शुरू होता है और रायगढ़ जिले के न्हावा शेवा के पास चिरले गांव में खत्म होता है. सेवरी से 8.5 किमी लंबा नॉइज बैरियर लगाया गया है, क्योंकि पुल का ये हिस्सा फ्लेमिंगो प्रोटेक्टेड एरिया से होकर जाता है. इससे ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा.

ये पुल मुख्य रूप से मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है. इससे राज्य के दो बड़े शहरों के बीच की दूरी कम होगी. अभी तक मुंबई से पुणे के बीच आने जाने में तीन घंटे का समय लगता था. अब यह सफर 1.3 घंटे में पूरा हो जाएगा. इसी तरह मुंबई से गोवा और दक्षिण भारत की ओर जाने में भी आसानी होगी. मुंबई से गोवा जाने में 11 घंटे वाला सफर घटकर 9 घंटे का हो जाएगा. 

इसके अलावा अटल सेतु मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नवी मुंबई एयरपोर्ट को सीधे जोड़ता है. मुंबई बंदरगाह और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह के बीच ट्रैफिक कम होगा. सेवरी, शिवाजीनगर, स्टेट हाईवे-54 और नेशनल हाईवे-348 पर इंटरचेंज की सुविधा है.

कितने रुपये की होगी बचत
18 हजार करोड़ रुपये की लागत से बने अटल सेतु पर हर दिन 70 हजार गाड़ियों के सफर करने की संभावना है. अनुमान है कि अटल सेतु के निर्माण से हर साल एक करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी. यहीं नहीं, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में 25,000 मिलियन टन से अधिक की कमी आएगी. 

मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी कमिश्नर संजय मुखर्जी ने कहा, अटल सेतु का मकसद यात्रा का समय कम करना और ईंधन की बचत करना है. 

मुंबई के सेवरी से नवी मुंबई के चिरले तक सड़क मार्ग से दूरी 52 किमी से घटकर 22 किमी रह गई. 30 किमी का सफर कम होने से कार में करीब 300 रुपये के तेल की बचत होगी. इसके अलावा यात्रा का समय जो लगभग दो घंटे लगता था, वह 20 मिनट हो गया.

हालांकि ये बचत टोल में चली जाएगी. अटल सेतु पर यात्रा करने के लिए हर गाड़ी को 250 रुपये टोल देना होगा. वापसी में टोल का डेढ़ गुना 370 रुपये लगेगा. पास लेने पर महीने के 12,500 रुपये चुकाने होंगे.

अटल सेतु का इतिहास
वर्तमान में मुंबई और नवी मुंबई को जोड़ने वाले कुल छह पुल हैं मगर ये काफी पुराने हो चुके हैं और भविष्य के यातायात को संभालने के लिए बहुत संकीर्ण हैं. दोनों शहरों के बीच लगातार ट्रैफिक बढ रहा है और ये पुल अपनी लिमिट से ज्यादा बोझ उठा रहे हैं. इसलिए मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने दोनों शहरों के बीच सफर आसान, सुरक्षित और परेशानी मुक्त बनाने के लिए साल 2012 में महाराष्ट्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा.

2015 में भारत सरकार और सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने परियोजना को अनुमति दे दी. इसके बाद 24 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना के निर्माण की आधारशिला रखी. तब इस प्रोजेक्ट के 2021 तक पूरा होने की उम्मीद थी. मगर नहीं हो पाया. कई बार प्रोजेक्ट खत्म करने की डेट आगे बढ़ानी पड़ी.

MMRDA ने नवंबर 2017 में प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रेक्ट फाइनल किया और निर्माण कार्य अप्रैल 2018 में शुरू हुआ. तब साल 2022 तक 4.5 सालों के भीतर इसके पूरा होने की उम्मीद थी. हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण पुल बनने में लगभग 8 महीने की देरी हुई. अगस्त 2023 तक पूरा होने की उम्मीद थी, फिर दिसंबर 2023 तक. आखिकार दिसंबर 2023 में पुल बनकर तैयार हुआ. 12 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुल का उद्घाटन कर दिया है.


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