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BIHAR: जी-20 के वैश्विक मंच पर देश-दुनिया के सामने प्रस्तुति, नए संसद भवन के गलियारे की शोभा बनने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले उपहारों में बड़ी संख्या में मधुबनी पेंटिंग (मिथिला पेंटिंग) से इसके आर्थिक फलक को और विस्तार मिला है।बिहार के मिथिलांचल की यह सांस्कृतिक विरासत रोजगार देने के साथ क्षेत्रीय आर्थिकी बदल रही है। यहां के गांवों में 15 से 80 वर्ष तक के कलाकार घर बैठे पेंटिंग बनाकर स्वतंत्र कारोबार कर रहे हैं। खासतौर से मधुबनी जिला इसमें सबसे आगे है।
यहां के कई गांवों में घर-घर इसके कलाकार हैं। वे महीने में 10 से 15 हजार घर बैठे कमा रहे हैं। बीते पांच वर्षों में इसका कारोबार दोगुना हो गया है। मधुबनी में 15 हजार से अधिक ऐसे कलाकार हैं, जो संस्थागत प्रशिक्षण लेकर काम कर रहे हैं।
इनके अलावा गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से भी काम हो रहा है। रांटी और जितवारपुर गांव के तो हर घर में कलाकार हैं। घर दीवारों से निकलकर मधुबनी पेंटिंग कपड़े, कागज, मूर्तियों, टेराकोटा, सजावटी सामान, आभूषण सहित अन्य तक पहुंच गई है।
मधुबनी फोक पेंटिंग प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक रवींद्र कुमार बताते हैं कि बीते पांच-छह वर्षों में बदलाव देखा गया है। मधुबनी पेंटिंग युक्त विविध उत्पादों का देश-विदेश मिलाकर वार्षिक कारोबार करीब 100 करोड़ का है। 2018-19 तक इसका कारोबार 55 से 60 करोड़ था।
पेंटिंग युक्त मास्क ने दिखाई राह
मिथिला चित्रकला संस्थान, सौराठ के कनीय आचार्य प्रतीक प्रभाकर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले उपहारों की नीलामी (पीएम मेमेंटो ई-आक्शन) में मधुबनी कलाकृतियों की बढ़-चढ़कर बोली कलाकारों का हौसला बढ़ाने वाला है।
वर्ष 2020 में जब कोरोना संक्रमण में वैश्विक मंदी आई तो पूरा कारोबार प्रभावित हुआ, इस बीच मधुबनी पेंटिंग युक्त मास्क ने कलाकारों को संभाल लिया। इस दौरान आनलाइन आर्डर और सप्लाई इसके कारोबार का बड़ा माध्यम बना।
प्रधानमंत्री ने जब एक्स (ट्विटर) पर मधुबनी पेंटिंग से सजे मास्क वाली तस्वीर साझा की तो देशभर से इसकी मांग आने लगी थी। करीब डेढ़ वर्ष में इस तरह के मास्क का 50 करोड़ का कारोबार हुआ था।
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