Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

नवरात्रि में क्या करें कि आए घर में सुख-समृद्धि

THN Network



DHARM DESK:
नवरात्रि में नौ की संख्या का विशेष अर्थ है। नवरात्र में प्रथम शब्द 'नव' संख्या 9 का वाचक है। नवरात्रि में नौ शक्तियां (नवदुर्गे) की ही उपासना करने का विधान है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्दघंटा, कुष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नौ देवियां है तथा सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु भारतीय ज्योतिष के नौ ग्रह हैं। नौ अंक अपने आप में ही बड़ा विचित्र एवं अनोखा है, नौ पर ही सारा संसार टिका है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मात्र नौ (9) ग्रहों का ही बोलबाला है। 27 नक्षत्रों की संख्या को परस्पर जोड़ने पर भी 9 अंक ही आता है।

घट स्थापना विधि
आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन शुद्ध समभूमि में चतुर्भुजा या अष्टादश भुजी, वस्त्राभराणों से युक्त, देवी की प्रतिमा स्थापित करें। यदि प्रतिमा का अभाव हो तो उस सिंहासन पर पूजनार्थ नवाक्षर मंत्र अभिमंत्रि करें। मिट्टी अथवा धातु के कलश में गंगाजल अथवा पवित्र जल के साथ श्रीफल, चुनरी, अंगवस्त्रम् सहित कलश की प्रतिष्ठा करें। गंगा अथवा पवित्र स्नान से लाई गई मिट्टी की वेदिका के ऊपर जौ बोने के पश्चात् कलश की स्थापना करें। कलश अथवा मंगल घट सृष्टि का प्रतीक है। कलश केवल मिट्टी, धातु के बने पात्र का प्रतीक नहीं अपितु सम्पूर्ण सृष्टि संरचना को प्रदर्शित करता है। कलश में स्वास्तिक, रोली, अक्षत, नारियल रखने के पश्चात् वरूण देवता का आह्वान करना चाहिए। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित देवताओं का वास है। देश काल के अनुसार कलश की संरचना का अलग-अलग विधान है। कुछ लोग कलश के बाह्य भाग में जौ उगाते हैं और कुछ अलग से कुल्हड़ में जौ बोकर शस्य-श्यामला, पृथ्वी को धन-धान्य से सम्पन्न देखने के लिए उपासना करते हैं। यह एक प्रकार से प्रत्येक परिवार के भाग्य धन-धान्य की सम्पन्नता का संकेत है। मां की मूर्ति, प्रतिमा को लाल, पीले वस्त्र को बिछाकर लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। धूप, दीप, नैवेद्य सहित षोडशोपचार पूजन करें। पूजन करने वाले व्यक्ति को लाल अथवा सफेद गर्म आसन पर पूर्वाभिमुख होकर बैठना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ-जप, हवन, अनुष्ठान आदि से साधक के भाव की प्रधानता है। शारदीय नवरात्र में श्रद्धा और भक्ति से किया गया दुर्गा सप्तशती का पाठ सिद्धिदायक होता है क्योंकि देवी महात्म्य का प्रभाव ही ऐसा है। मन के सच्चे भाव से जो भगवती दुर्गा को जो स्मरण करता है उसे वे अत्यंत कल्याणकारिणी बुद्धि प्रदान करती है जिससे अनेक प्रकार के संदेह स्वयं मिट जाते हैं।

नवरात्र व्रत स्वस्थ रहने के लिए रामबाण
नौ दिन तक रखे जाने वाले नवरात्र व्रत का महात्म्य ज्योतिष, अध्यात्म के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से और भी बढ़ जाता है। साल में छः मास के अंतराल पर रखे जाने वाले इस व्रत से जहां पाचन तन्त्र को आराम मिलता है, वहीं व्रत-उपवास से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है।

नवरात्रि में सुख-समृद्धि हेतु
घर में यदि श्रीयन्त्र स्थापित हो तो उसकी नवरात्र में पूजा अवश्‍य करनी चाहिए और यदि न हो ता श्रीयन्त्र स्थापित करने का यह सबसे अच्छा मुहूर्त है। जौ बोकर कलश स्थापित करना और रोजाना सुबह-शाम (या अखण्ड) दीपक जलाना श्रेयस्कर रहता है। कलश पर या मां की प्रतिमा पर रोली, चावल और फूल चढ़ाएं। संभव हो तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या करवाएं। पाठ संभव न हो तो दीपक के सामने ही कोई स्तुति, पाठ करके दीपक को दोनों समय नमस्कार करें। एक बार पूजन शुरू हो जाने पर बीच में कोई अशुद्धि या सूतक हो जाने पर भी व्रत भंग नहीं होता है। नवरात्र में घरों, साधना स्थलों में अखंड ज्योति जलाई जाती है, उस अखंड ज्योति की लौ से अखंड ज्योति जलाने वाला, वर्ष भर का 'शुभाशुभ' शकुन जाना जा सकता है। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अखंड ज्योति प्रज्जवलित करते समय अशुभ वाणी नहीं बोलनी चाहिए।

Post a Comment

0 Comments