THN Network
DHARM DESK: शरद पूर्णिमा को धार्मिक शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि, इस दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं। लेकिन, इस बार चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन लग रहा है। ऐसे में लोगों के मन में असमंजस बना हुआ है कि शरद पूर्णिमा पर 28 अक्टूबर या 29 अक्टूबर कब रखना है व्रत और माता लक्ष्मी की पूजन के लिए शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा का व्रत कब
पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का आरंभ 28 अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 18 मिनट से पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो जाएगा। पूर्णिमा तिथि का समापन 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पूर्णिमा का व्रत 28 अक्टूबर के दिन ही किया जाएगा। शरद पूर्णिमा पर गजकेसरी योग, आदित्य मंगल योग, बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग बन रहा है।
पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
शुभ चौघड़िया का मुहूर्त 28 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 17 मिनट तक।
इसके बाद लाभ चौघड़िया 28 अक्टूबर को 1 बजकर 28 मिनट से 2 बजकर 52 मिनट तक।
इसके बाद अमृत चौघड़िया दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से शाम में 4 बजकर 15 मिनट तक।
इन सभी मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहेगा। जो लोग भी पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं वह इस मुहूर्त में पूजा अर्चना कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे इसके बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रणाम करें।
इस दिन यदि आप किसी नदी या नहर पर जाकर स्नान कर सकते हैं तो उत्तम रहेगा नहीं तो आप घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद पूजा स्थल को पवित्र करके पीला वस्त्र बिछाएं और उसपर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। उन दोनों का अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें वस्त्र आदि अर्पित करें।
माता लक्ष्मी को लाल रंग का फूल अर्पित करें और भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित करें। पूजा के दौरान विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जप करें। अंत में आरती अर्चना कर पूजा संपन्न करें। पूर्णिमा समाप्त होने के बाद अगले दिन अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार दान करें।
0 Comments