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लिफ्ट में फंसने पर पैनिक न हों; समझें M और C बटन का यूज

THN Network



उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में 32 साल की एक महिला ओल्गा लियोन्टीवा लिफ्ट में फंस गई। तीन दिन तक लिफ्ट के अंदर से लियोन्टीवा मदद मांगती रही, पर उसे बचाने कोई नहीं आया। लिफ्ट के अंदर ही उसकी मौत हो गई।

दरअसल लियोन्टीवा 9 मंजिला इमारत के टॉप फ्लोर पर लिफ्ट में फंसी हुईं थीं। बिजली चले जाने से लिफ्ट जाम हो गई थी। तभी लियोन्टीवा लिफ्ट में अकेली थी। जांच में पता चला कि लिफ्ट में कई दिक्कतें थीं, जिसकी वजह से लिफ्ट फंसी थी।

लिफ्ट में फंसने की ऐसी घटनाएं लगभग हर रोज सुनाई देती हैं। ऐसे में आज जानेंगे कि लिफ्ट में फंसने पर क्या करें और बटनों का यूज कब करना चाहिए।

सवाल: लिफ्ट में फंसने पर घबराहट क्यों होने लगती है?
जवाब: चारों तरफ से लिफ्ट बंद होने की वजह से लोगों को क्लस्ट्रोफोबिया हो जाता है। क्लस्ट्रोफोबिया सीमित जगह में होने वाली घबराहट होती है।

जैसे- लिफ्ट के बंद होने पर, अंधेरा होने पर या अकेल लिफ्ट से आने-जाने पर घुटन सी होने लगती है।

इसी वजह से लिफ्ट में शीशे लगाए जाते हैं। जिससे होने वाली घबराहट कम किया जा सके।

सवाल: लिफ्ट में फंस जाने पर क्या करना चाहिए?
जवाब: इसे नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-

सवाल: लिफ्ट इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है? M और C बटन का क्या मतलब होता है?
जवाब: हां, कई जगहों पर लिफ्ट के की-बोर्ड पर इतने बटन होते हैं कि लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। आमतौर पर लिफ्ट में ऊपर-नीचे वाले यानी कॉल बटन होते हैं और फ्लोर नंबरिंग वाले बटन होते हैं।

कई बार लोग एक साथ दो बटन दबा देते हैं जिससे टेक्निकल खराबी या लिफ्ट फंस भी सकती है। जानते हैं कौन सा बटन किस लिए होता है-

ऊपर तीर वाला बटन- जब भी आप अपने से ऊपर वाले फ्लोर पर जाना चाहते हैं तो ऊपर तीर वाला बटन दबाना चाहिए। चाहे लिफ्ट की केबिन कहीं भी हो, आपको अपने डेस्टिनेशन के हिसाब से कॉल बटन ऑपरेट करना चाहिए।

नीचे तीर वाला बटन- मौजूदा फ्लोर से नीचे वाले फ्लोर पर जाना चाहते हैं तो नीचे वाला बटन दबाना चाहिए। आपको इससे मतलब नहीं होना चाहिए कि उस समय लिफ्ट की केबिन कहां है। मान लीजिए आप 5वें फ्लोर पर हैं और आपको इससे ऊपर वाले किसी फ्लोर पर जाना है तो आपको ऊपर वाला बटन दबाना चाहिए।

कई लोग ये देखते हैं कि अगर लिफ्ट 8वें फ्लोर पर है, आप 5वें फ्लोर पर हैं और आपको 10वें फ्लोर पर जाना है तो लिफ्ट की केबिन के हिसाब से उसे नीचे बुलाने के लिए नीचे वाला बटन दबाते हैं, जो गलत है।

कॉल बटन को लिफ्ट की करंट पोजिशन के हिसाब से ऑपरेट नहीं करना चाहिए, बल्कि जहां आपको जाना है, उसके हिसाब से बटन दबाना चाहिए। ऊपर के उदाहरण से समझते हैं- कि लिफ्ट 8वें फ्लोर पर है और आपको 10वें पर जाना है तो आप ऊपर वाला बटन ही दबाएंगें।

इसके अलावा शॉपिंग मॉल, मेट्रो स्टेशन, बैंक, होटल और हाउसिंग सोसाइटी की लिफ्ट में 1, 2, 3, 4, 5… बटन के अलावा M और C बटन भी देखे होंगे। इनका मतलब अलग-अलग समझते हैं-

M बटन: अगर किसी लिफ्ट में M बटन लगा है तो इसका रिलेशन मेजनाइन या Mezzanine से है। M बटन दबाने पर आप मेजनाइन फ्लोर पर आ जाएंगे।

मेजनाइन वो फ्लोर, जो ग्राउंड से भी नीचे होता है, लेकिन बेसमेंट की तरह नहीं होता है। इस तरह के बटन आप दिल्ली मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट में देख सकते हैं।

C बटन: इसका रिलेशन कान्कॉर्स या Concourse से है। ये बटन बिल्डिंग लिफ्ट में कम, जबकि रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन या बड़ी बिल्डिंग, हॉस्पिटल में ज्यादा इस्तेमाल होता है।

कान्कॉर्स का मतलब एंट्रेस वाले फ्लोर से है, जहां काफी बड़ा हॉल होता है। दरअसल, एयरपोर्ट या मेट्रो स्टेशन के अंदर घुसते ही जो बड़ी सी खाली जगह होती है और वहां काफी लोग होते हैं उसे कान्कॉर्स कहा जाता है।

RC बटन: ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर दोनों एक ही होते हैं। इसके लिए लिफ्ट में ‘RC’ बटन का यूज किया जाता है।

आप जब भी किसी फ्रेंच एलिवेटर में हों तो वहां ‘ग्राउंड फ्लोर’ के लिए ‘G’ बटन की बजाय Rez-De-Chaussee (RC) बटन दिखाई देगा।

इसके अलावा भी दुनिया के अलग-अलग देशों की लिफ्ट में अलग-अलग बटन बने होते हैं।

स्वस्थ व्यक्ति अगर हर बार उतरने-चढ़ने के लिए लिफ्ट का यूज करता है तो ये गलत आदत है। वहीं सीढ़ियों के इस्तेमाल करने से हेल्थ को कई फायदें होते हैं।

बॉडी टोन होती है: जब भी आप सीढ़ियां चढ़ते हैं तो आपके क्वाड्रिसेप्स, हेमस्ट्रिंग्स और काल्व्स टोन होते हैं। ऑफिस में बैठकर काम करने वालों के लिए फायदेमंद होता है।

कैलोरी बर्न होगी: जब आप गुरुत्वाकर्षण के अपोजिट जाते हैं तो शरीर को उतनी ही ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से सीढ़ियां चढ़ने से ज्यादा कैलोरी बर्न होती है।

एक्सरसाइज: सीढ़ियां चढ़ना-उतरना एक तरह की एक्सरसाइज ही है। इसके लिए आपको कोई जिम या योगा मेट की जरूरत नहीं होती है।

स्ट्रेस दूर होती: इससे आपके शरीर में एंडोर्फिन तेजी से बढ़ता है जो स्ट्रेस कम करने में मदद करता है। रेगुलर के कामों के लिए चढ़ने-उतरने से कुछ दिनों में फर्क पता चलता है।

दिल की बीमारियां दूर: सीढ़ियां चढ़ना कार्डिओ एक्सरसाइज का काम करता है। दिल का दौरा पड़ने का रिस्क भी कम हो जाता है। इससे खुद को एक्टिव महसूस करते हैं।

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