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ब‍िना खुदाई कैसे म‍िलेंगे साक्ष्‍य? ASI के पूर्व संयुक्त महानिदेशक ने बताया सबकुछ

THN Network


NEW DELHI: भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) ने आयोध्या में श्रीराम रामजन्म भूमि विवाद को सुलझाने के लिए किए गए उत्खनन में अनेक अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया था। वहां प्रमाण जुटाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले एएसआई के पूर्व संयुक्त महानिदेशक डा. बीआर मणि ने बताया कि वैज्ञानिक विधि से सर्वे में पर्याप्त सुबूत मिलेंगे।

क्‍या है डायरेक्‍ट और इनडायरेक्‍ट तरीका  

दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत में उन्होंने बताया कि किसी भी स्थान की जानकारी जुटाने के दो तरीके होते हैं। डायरेक्ट व इनडायरेक्ट।

डायरेक्ट तरीके में आसपास के क्षेत्र की खुदाई करके देखा जा सकता है।

इनडायरेक्ट तरीके में स्थान की खुदाई नहीं करनी पड़ती है। किसी वस्तु की बनावट के आधार पर कला इतिहासकार उसकी आयु का निर्धारण करते हैं।


जीपीआर भी है एक आधुनिक तकनीक

आयु निर्धारण के लिए कार्बन डेटिंग की जाती है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि उस वस्तु से कार्बन उत्सर्जन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि धरती के गर्भ में छिपे रहस्यों के बारे में जानकारी जुटाने की जीपीआर भी एक आधुनिक तकनीक है। इसमें बिना खुदाई के नीचे किस आकृति की वस्तु मौजूद है, इसका एकदम सटीक पता चल जाता है। अब तो नई तकनीक के जीपीआर 50 मीटर तक नीचे की वस्तुओं का पता लगा लेते हैं।


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