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UP: महाराष्ट्र (Maharashtra) के बाद अब उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. सूत्रों की मानें तो यूपी में भी बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) का कुनबा बढ़ेगा. जल्द ही सुभासपा एनडीए में शामिल हो सकती है. सुभासपा को अपने पाले में लाने के लिए महीनों से प्रयासरत यूपी में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) का प्रयास अंतिम पड़ाव पर हैं.
सूत्रों के अनुसार ब्रजेश पाठक की दिल्ली में अमित शाह से इस सिलसिले में सोमवार को बात हो गई है. अब पार्टी के पूरे हाईकमान की हरी झंडी मिलते ही गठबंधन पर मुहर लग जाएगी. प्रदेश नेतृत्व में सुभासपा को लेकर मन पहले ही बन चुका था. प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ धर्मपाल सिंह काफी पहले से इस ऑपरेशन में लगे हुए थे. बाद में सीएम योगी को भी मना लिया गया था.
दिल्ली में हो चुकी है मुलाकात
सूत्रों का दावा है कि पिछले महीने ही सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर दिल्ली दौरे पर गए थे. जहां उनकी मुकालात दो बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हो चुकी है. राजनीति के जानकारों की मानें तो ओपी राजभर ने भी इस बाबत अपना मन बना लिया है. बस बीजेपी आलाकमान से हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है. वहीं बीते दिनों जब अमित शाह लखनऊ आए थे तो भूपेंद्र चौधरी से इस गठबंधन को लेकर चर्चा हुई है.
दावा किया जा रहा है कि कुछ सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है, किस सिंबल पर राजभर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे इसे लेकर बात फंसी हुई थी. इसी मामले को लेकर ही 2019 में भी राजभर एनडीए से अलग भी हुए थे. राजनीति के जानकार बताते हैं कि 2019 में राजभर की जिद्द थी कि उनके बेटे अरविंद राजभर को छड़ी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ाया जाए.
राजभर को मंजूर नहीं
हालांकि 2019 में बीजेपी ने राजभर का ये सुझाव नहीं माना था, उसका कहना था कि जैसे ही सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संत कबीर नगर से लोकसभा का चुनाव बीजेपी के सिंबल पर लड़ना चाहते हैं, वैसे ही घोषी सीट से अरविंद राजभर भी प्रत्याशी बन सकते हैं. जबकि राजभर को मंजूर नहीं हुआ और गठबंधन टूट गया था.
सूत्रों की मानें तो अब एनडीएम में शामिल होने के बाद सुभासपा प्रमुख को पहले की तरह कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा. इसके अलावा उनके बेटे अरविंद राजभर को बसपा से हारी हुई गाजीपुर लोकसभा सीट का प्रत्याशी बनाया जाएगा. राजभर भी खुद गाजीपुर जिले की एक सीट से विधायक हैं. सूत्रों का दावा है कि पिछला चुनाव लड़कर हार चुके मनोज सिन्हा कश्मीर के एलजी हैं, उन्होंने खुद पार्टी हाईकमान से गाजीपुर सीट पर चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर की है.
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