THN Network
NEW DELHI: उत्तर प्रदेश की पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य के बीच पारिवारिक विवाद इस समय सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। बात आलोक मौर्य के ज्योति मौर्य पर आरोप लगाने से शुरू हुई, इसके बाद एसडीएम ज्योति मौर्य की तरफ से जवाबी हमला किया गया। इसके बाद से ही मामले ने तूल पकड़ लिया। वहीं अब इस पूरे मसले पर पूर्व आईपीएस और योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण असीम अरुण ने एक ट्वीट के माध्यम से अपनी बात रखी है। असीम अरुण ने लिखा है कि मामले में कौन सही है या कौन गलत? ये तो वही दोनों लोग जानते होंगे लेकिन इस पूरे प्रकरण में निजता का मुद्दा निश्चित रूप से हम सबके सामने मुंह खोले खड़ा है। हम सभी को मिलकर इस बात पर चर्चा करनी होगी कि क्या हमने इस विषय को परिपक्वता के साथ डील किया? क्या भविष्य में ऐसे प्रकरणों में ज्यादा परिपक्व, संवेदनशील प्रतिक्रिया दे सकते हैं? यदि हां, तो कैसे?
असीम अरुण वीआरएस लेने से यूपी के जाने-माने आईपीएस अफसर रहे। उन्होंने 2022 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कन्नौज से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। असीम अरुण ने लिखा है, “पिछले कुछ दिनों से एक पति-पत्नी के बीच का विवाद मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चित है। कौन सही है कौन नहीं… किसने किसके साथ छल किया, किसने त्याग किया यह तो वह आपस में ही जानते होंगे लेकिन इस पूरे प्रकरण में निजता का मुद्दा निश्चित रूप से हम सबके सामने मुंह खोले खड़ा है।
पति-पत्नी में झगड़े किस घर में नहीं होते, लेकिन जिस प्रकार इस प्रकरण को पूरे देश में एक चर्चा का विषय बना दिया गया है इस दम्पति की समस्याएं अब होती नहीं दिखतीं। अगर कोई समझौते की संभावनाएं थीं भी तो इस प्रकार सार्वजनिक वाद-विवाद के कारण अब समाप्त हो गईं। जिस पद, दायित्व पर संबंधित लोग कार्य कर रहे हैं, अब उनका भी काम करना मुश्किल हो जाएगा।
असीम अरुण कहते हैं कि यह देखकर तो कष्ट हो ही रहा था कि कल मुझसे मेरे कार्यालय पर क बहन और उनकी मां आईं और उनका भी पारिवारिक विवाद था, जिसे लेकर उन्होंने अपनी शिकायत बताई और उसको भी निजता की परवाह किए बिना मीडिया ने प्रस्तुत कर दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि मास कॉम की पढ़ाई में प्राइवेसी, एथिक्स के बारे में जरूर पढ़ाया जाता होगा।
मेरी समझ से समस्त संबंधित स्टेकहोल्डर- दम्पति, सरकारी एजेंसियां, मेरे जैसे लोकसेवक और मीडिया इस विषय पर एक चर्चा करें कि क्या हमने इस विषय को परिपक्वता के साथ डील किया? क्या भविष्य में ऐसे प्रकरणों में ज्यादा परिपक्व, संवेदनशील प्रतिक्रिया दे सकते हैं? यदि हां, तो कैसे?
0 Comments