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पिघलते ग्लेशियर, एवरेस्ट पर बढ़ती गर्मी और ट्रैफिक जाम..., पर्वत रोहियों की मौत की वजह क्या?

THN Network


NEW DELHI:
पृथ्वी पर सबसे ऊंचे स्थान माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने की कोशिश में 12 पर्वतारोहियों की मौत हो गयी है. इससे पहले 2019 में 11 लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि तिब्बती पठार जहां माउंट एवरेस्ट स्थित है, वहां पर तापमान 1979 के बाद से 40 सालों में 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जलवायु परिवर्तन माउंट एवरेस्ट के रास्ते में हो रही मौतों का कारण बन रहा है? 

इस साल एवरेस्ट पर मरने वाले 12 लोग गर्मियों से पहले एवरेस्ट पर चढ़ने या उतरने के दौरान मारे गए हैं. इनमें से तीन लोगों की मौत बर्फ गिरने से हो गयी. एवरेस्ट पर चढ़ाई का मौसम खत्म हो गया है और अब तक पांच लोग लापता हैं. दूसरी तरफ नेपाल में रिकॉर्ड संख्या में चढ़ाई परमिट जारी किए जाने के बाद पर्वत पर भीड़भाड़ बढ़ी है. जो परेशानी पैदा कर रही है. 

रॉयटर्स के मुताबिक चीन की ओर से पर्वतारोहियों का नेतृत्व करने वाले अमेरिका स्थित एल्पेंगलो एक्सपेडिशन्स के एड्रियन बैलिंगर ने कहा 'नेपाल की ओर से कुछ कंपनियां पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर ले जा रही हैं, लेकिन उनके पास उनकी सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय नहीं हैं. उनके पास मृत्यु क्षेत्र को नेविगेट करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. 

एवरेस्ट अभियान नेपाल के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है. विदेशी पर्वतारोही नेपाल सरकार की आलोचना भी करते हैं. उनका कहना है कि नेपाल की सरकार पैसे कमाने के लिए अनुमति देती है. जबकि नेपाल सरकार इससे इनकार करती है. 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों के कई पर्वातारोहियों ने नेपाल सरकार की आलोचना करते हुए कहा" नौ लाख रूपये देकर कोई भी व्यक्ति परमिट ले सकता है.

हिमस्खलन से हुई मौतें 

हिमालयन डेटाबेस के मुताबिक इस साल हिमस्खलन या बर्फिले तूफान की वजह से कम मौतें हुई है, लेकिन आमतौर पर एवरेस्ट पर होने वाली मौतों में से 40 फीसदी मौतें, इन तूफानों के कारण ही होती हैं. 2014 में एक हिमस्खलन में 16 लोग मारे गए थे, जिसे आधुनिक इतिहास में पहाड़ पर सबसे खराब दुर्घटना करार दिया गया. 

जलवायु परिवर्तन पहाड़ पर चढ़ने के अनुभव को पूरी तरह से बदल रहा 

साल 2022 में अमेरिकी की मैन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में ये बताया गया कि जलवायु का इस तरह का प्रभाव एवरेस्ट पर चढ़ने के अनुभव को बदल देगा. जलवायु परिवर्तन से जिस तरह से पहाड़ की बर्फ पिघल रही है उससे आने वाले समय में बर्फ की जगह पर चट्टान दिखाई देने लगेंगी. बर्फ गिरने और हिमस्खलन बहुत ज्यादा होगा. पिघलते ग्लेशियर एवरेस्ट बेस कैंपों को भी नुकसान पहुंचाएंगे, और पीक सीजन के दौरान लगभग 1,000 पर्वतारोहियों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा. 

सीनियर गाइड पसांग यिंगजी शेरपा ने 2022 में बीबीसी को एक पॉडकास्ट में बताया था कि ग्लेशियर के पिघलने से पर्वतारोहियों ने हर साल कैंप की जगह बदली. पर्वतरोहियों को कई जगहों पर कठोर बर्फ, कुछ जगहों पर नरम बर्फ और पिघला हुआ या पानी की तरह बर्फ देखने को मिला. बता दें कि इस साल कुल 12 पर्वतरोहियों की मौत हो गई. इस साल 900 लोगों को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की अनुमति दी गई थी






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