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जवानों को झूठी पोस्‍टमार्टम रिपार्ट से दुष्‍कर्मी साबित करने की साजिश, J&K के 2 डॉक्टर 15 साल बाद बर्खास्‍त

THN Network



J&K: सेना की जिम्‍मेदारी देश की रक्षा करने की है. जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में जवान बेहद मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हुए अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाने में लगे हुए हैं. तब क्‍या हो जब पाकिस्‍तान के ईशारे पर अपने ही लोग जवानों को रेप के झूठे मुकदमों में फंसाने में लग जाएं. जी हां, एक ऐसी ही साजिश का पर्दाफाश हुआ है, जहां जम्‍मू कश्‍मीर के दो डॉक्‍टरों ने पाकिस्‍तान के ईशारे पर सेना के जवानों के खिलाफ दुष्‍कर्म की झूठी पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर दी. इस रिपोर्ट के आधार पर इन जवानों को कानूनी लड़ाई तक लड़नी पड़ी. साल 2009 में सामने आई इस घटना के 15 साल बाद दोनों आरोपी डॉक्‍टरों को सर्विस से बर्खास्‍त कर दिया गया है.


जम्‍मू कश्‍मीर के प्रशासन ने पाकिस्तान स्थित समूहों के साथ कथित तौर पर काम करने और 2009 के ‘शोपियां बलात्कार’ मामले में सबूत गढ़ने को लेकर गुरुवार को दो डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया. अधिकारियों ने ये जानकारी दी. शोपियां में 30 मई 2009 को दो महिलाओं -आसिया और नीलोफर के शव एक जलधारा में मिले थे. उसके बाद आरोप लगाया गया था कि कश्‍मीर में शांति बहाल करने में जुटी सेना के जवानों ने इन महिलाओं के साथ बलात्कार किया और फिर उनकी हत्या कर दी.घटना के बाद 42 दिन बंद रहा कश्‍मीर

इस मामले को लेकर कश्मीर में 42 दिनों तक बंद की स्थिति थी. सीबीआई को रेप के मामले की जांच सौंपी गई। जिसके बाद जाकर स्थिति में सुधार हुआ था. जांच के दौरान स्पष्ट हुआ कि दोनों महिलाओं के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. अधिकारियों ने कहा कि दो डॉक्टरों- डॉ बिलाल अहमद दलाल और डॉ. निघत शाहीन चिल्लू को पाकिस्तान के साथ मिल कर काम करने और शोपियां की आसिया और नीलोफर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने के लिए साजिश रचने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं की 29 मई 2009 को डूबने से मौत हो गई थी. दोनों डॉक्टरों का मकसद सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाकर लोगों में असंतोष पैदा करना था.


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