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FOREIGN DESK: मिस्र ने कहा है कि वो फिलीस्तीन, खासतौर से गाजा के लोगों को अपने यहां शरण देने के पक्ष में नहीं है। मिस्र का कहना है कि उसके ऐसा करने से इस पूरे विवाद का कोई समाधान नहीं निकलेगा। ऐसे में दुनिया के दूसरे देश उसको बॉर्डर खोलने की सलाह देने के बजाय इस मामले का हल निकालने की सोचें। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने इस मामले पर कहा कि बड़ी संख्या में फिलिस्तीनियों का उनके यहां बसना कई तरह की नई चुनौतियों को जन्म देगा। इसमें बड़ा डर ये है कि इस तरह का कदम मिस्र प्रायद्वीप को इजरायल के खिलाफ हमलों के अड्डे में बदल सकता है।
अल-सिसी ने बुधवार को कहा, मिस्र फौज की ताकत पर फिलीस्तीन के मामले का हल निकालने की किसी भी कोशिश को खारिज करता है। ना ही हम फौजी कार्रवाई पर विश्वास करते हैं और ना ही फिलीस्तीनियों के विस्थापन में यकीन रखते हैं। हम नहीं चाहते कि क्षेत्र में बड़ी तादाद में कोई विस्थापन हो। गाजा के लोगों का मिस्र की ओर विस्थापन किसी समाधान की बजाय वेस्ट बैंक-जॉर्डन जैसी समस्या पैदा कर देगा। विस्थापन के बाद तो जिस फिलीस्तीन के विचार की आज हम और विश्व चर्चा कर रहा है, वो संभव ही नहीं रहेगा। ऐसे में हम गाजा के लोगों के मिस्र की ओर विस्थापन के पक्ष में नहीं है।
रसद के लिए बॉर्डर खोलने को राजी है मिस्र
मिस्र की सरकार गाजा के लोगों को शरण देने को राजी नहीं लेकिन रसद पहुंचाने के लिए बॉर्डर खोलने के तैयार हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बताया हि कि मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी ने गाजा में मानवीय सहायता भेजने के लिए 20 ट्रकों को राफा बॉर्डर पार करने की इजाजत दी है। जिससे मुश्किलों का सामना कर रहे गाजा के लोगों को कुछ मदद मिल सके।
राफा बॉर्डर की क्यों बढ़ गई है अहमियत
इजरायल से चल रही जंग के बीच राफा बॉर्डर की अहमियत बहुत बढ़ गई है। गाजा के लोग सिर्फ राफा बॉर्डर के जरिए ही यहां से निकल सकते है। इसके अलावा उनके बॉर्डर पर या तो समुंद्र है या फिर इजरायल है। ऐसे में सिर्फ राफा क्रॉसिंग ही अकेला रास्ता है, जिससे गाजा में मदद पहुंचाई जा सके या फिर वहां से लोगों को निकाला जा सके। युद्ध प्रभावित गाजा छोड़ने की आस में हजारों लोग राफा बॉर्डर पर जमा हैं। इन लोगों को उम्मीद है कि बॉर्डर खुलेगा तो वो मिस्र में जाकर शरण ले लेंगे।
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