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BUSINESS: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल की 50वीं बैठक चल रही है और इसमें ऑनलाइन गेमिंग और जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण जैसे कई विषयों पर चर्चा होने वाली है. काउंसिल ने जीएसटी से रिलेटेड प्रमुख मुद्दों जैसे टैक्स रेट, छूट, सीमा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
जीएसटी काउंसिल सर्वसम्मति से फैसला लेता है. जीएसटी काउंसिल का फैसला उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम तीन-चौथाई मतों के बहुमत से फैसला लेता है. काउंसिल की 50वीं बैठक में कई चीजों को लेकर टैक्स घटाया जा सकता है वहीं कुछ चीजों पर टैक्स बढ़ाया भी जा सकता है. यहां बताया गया है कि कौन सी चीजें सस्ती और कौन सी चीजें महंगी हो सकती हैं.
ये चीजें हो सकती है सस्ती
सिनेमा हॉल के अंदर खाने-पीने की चीजें
सिनेमा हॉल के अंदर बिकने वाले खाने-पीने के सामान सस्ते हो सकते हैं. सिनेमा हॉल मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक इंडस्ट्री लॉबी ग्रुप, मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MAI) ने सिनेमा हॉल के अंदर बेचे जाने वाले खाने और पीने (एफ एंड बी) की कुछ कैटेगरियों पर टैक्स को मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है. खासकर पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक और अन्य संबंधित खाद्य पदार्थ पर टैक्स कम हो सकता है. सिनेमा मालिकों के लिए ये चीजें राजस्व के महत्वपूर्ण सोर्स हैं, क्योंकि इससे सालाना कमाई में 30-32 फीसदी तक होती है. मौजूदा समय में 100 से नीचे के मूवी टिकटों पर 12 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि सीमा से ऊपर के टिकटों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है.
दवाएं भी हो सकती हैं सस्ती
एक और चीज सस्ती हो सकती हैं, वह दवाएं हैं. प्रस्ताव दिया गया है कि जिन दवाओं की कीमत 36 लाख रुपये है, उन्हें जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए. फिटमेंट कमेटी ने अनफ्राइड स्नैक पेलेट्स पर जीएसटी दरों को 18 फीसदी से कम करके 5 फीसदी करने की सिफारिश की है. सजेशन दिया गया है कि जब व्यक्तिगत उपयोग के लिए कैंसर की दवा (डिनटुक्सिमैब या कर्ज़ीबा) व्यक्तियों द्वारा आयात की जाती है तो 12 फीसदी के आईजीएसटी से छूट दी जाए. इसके अलावा सैटेलाइट सर्विस लॉन्च भी सस्ता हो सकता है.
किन चीजों के बढ़ेंगे दाम
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अगुवाई वाली कमेटी ने ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कैसीनो पर टैक्सेशन बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. कमेटी ने कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी, प्लेटफॉर्म पर 18 फीसदी टैक्स लगाना और रिवॉर्ड पर छूट दी जानी चाहिए. फिटमेंट कमेटी ने सिफारिश की है कि MUV और XUV पर 22 फीसदी टैक्स लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा, कमिटी ई-कॉमर्स बिजनेस पर टीसीएस को लेकर फैसला ले सकती है.
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