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HEALTH: लीची का मौसम है। ठेले पर जहां देखो लीची दिखाई दे रही है। कुछ लोग पूरे साल इस फल के आने का इंतजार करते हैं।
दूसरी ओर कई लोग इसे खाने से डरते हैं, उन्हें लगता है कि ये खाने की चीज नही है। दरअसल बिहार से हर साल लीची खाने से मौत के कई मामले आते हैं। इन्हीं घटनाओं ने उनके मन में लीची को लेकर कई तरह का डर बैठा दिया है।
आज हम लीची के बेनेफिट्स उसे खाना तरीका जानेंगे। साथ ही ये समझेंगे कि लीची क्या वाकई मौत का कारण बन सकती है।
लीची खाने से क्या फायदा होता है?
लीची में कई तरह के न्यूट्रिशन मौजूद होते हैं। जैसे-
पोटैशियम
विटामिन सी
विटामिन ई
आयरन
फाइबर
मैग्नीज
फॉस्फोरस
एंटीऑक्सीडेंट्स
इस वजह से यह मेटाबॉलिज्म मजबूत करता है। मेटाबॉलिज्म एक केमिकल प्रोसेस है, जो हमारे खानपान को एनर्जी में कन्वर्ट करता है।
इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है इससे गर्मी में डिहाइड्रेशन की शिकायत नहीं होती।
यह वजन भी कंट्रोल रखता है।
एक दिन में कितनी लीची खानी चाहिए?
बच्चों को एक दिन में 2-3 लीची खानी चाहिए। जबकि एडल्ट 5-6 लीची खा सकता है।
लीची कब नहीं खाना चाहिए?
इन दो सिचुएशन में-
खाली पेट
रात में
नोट: अगर आपने फलहार से व्रत रखा हैं तो लीची न खाएं।
लीची खाने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
फ्रेश और पकी हुई यानी लाल रंग वाली लीची खाने के लिए अच्छी होती है।
हरी यानी कच्ची लीची गलती से भी न खाएं। इससे बीमार हो सकते हैं।
यह भी याद रखें कि खाने से पहले इसे पानी में भिगोकर रखना चाहिए।
लीची पानी में क्यों भिगोने के बाद क्यों खानी चाहिए और इसे खाने से कितनी देर पहले पानी में भिगोकर रखना चाहिए?
इसकी तासीर गर्म होती है। इसमें थर्मोजेनिक गुण होता है यानी यह आपके शरीर के तापमान को बैलेंस रखता है। इससे मेटाबॉलिज्म भी सही रहता है।
लीची अगर बिना पानी में भिगोए खाएंगे तो कब्जियत, सिरदर्द या लूज मोशन भी हो सकता है।
इन दिनों फल-सब्जी उगाने में पेस्टिसाइड्स यानी कीटनाशकों का यूज होता है। नॉर्मल वॉश से पेस्टिसाइड का बुरा असर कम नहीं होता। इस वजह से स्किन प्रॉब्लम और दूसरी समस्या हो सकती है।
यह भी याद रखें कि लीची के छिलके थोड़े सख्त होते हैं। अगर वे सूख जाते हैं, तो उन्हें निकालने में परेशानी होती है। पानी में डुबोने से न सिर्फ छिलके पर लगी धूल-मिट्टी साफ होती है, बल्कि छिलके उतारना भी आसान हो जाता है।
इसलिए इसे खाने के आधा घंटे पहले पानी भी भिगोकर रख दें।
लीची और मौत का क्या कनेक्शन है, इस तरह की खबरें हर साल गर्मी के दिनों में बिहार से आती हैं?
लीची खाने से मौत नहीं होती। इसे गलत तरीके से खाएंगे तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
असल में लीची में नेचुरली हाइपोग्लाइसीन A और मेथिलीन साइक्लो प्रोपाइल ग्लाइसिन केमिकल पाए जाते हैं। ये शरीर में टॉक्सिक की तरह काम करते हैं और ग्लूकोज बनने से रोकते हैं। ये दोनों केमिकल कच्ची लीची में ज्यादा और पकी में कम होते हैं।
बिहार में बच्चों की मौत के केस में शरीर देर तक भूखे रहने और पोषण की कमी के कारण शरीर में शुगर लेवल कम हो जाता है तो यह दिमाग को प्रभावित करता है। जिससे बेहोशी आने लगती है और 4-5 घंटे तक इलाज न मिल पाने पर होश नहीं आ पाता। तो जान चली जाती है।
बिहार में लीची खाने पर जिन बच्चों की मौत हुई उनमें एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम के लक्षण थे।
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