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CHANDIGARH: यह बात वर्ष 2008 में दिसंबर महीने की है जब प्रकाश सिंह बादल के जन्मदिन पर हम कुछ मीडियाकर्मी उन्हें बधाई देने के लिए पंजाब भवन गए थे। वह एक बैठक के बाद पंजाब भवन के पीछे बने पार्क में धूप सेक रहे थे। उन्होंने हम पांच-छह पत्रकारों को अपने पास बुलाया। इसी बीच, एक वरिष्ठ पत्रकार ने प्रकाश सिंह बादल से पूछा कि अगर हम पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बात करें तो प्रताप सिंह कैरों का नाम विकासोन्मुखी मुख्यमंत्री के तौर पर जाना जाता है।
सांप्रदायिक सौहार्द बनाने में सबसे बड़ा योगदान
लक्ष्मण सिंह गिल को पंजाब की सभी लिंक सड़कों को बनाने के लिए जाना जाता है। इसी तरह अगर पंजाब आतंकवाद की आग में झुलसता रहा तो उसे बुझाने का काम बेअंत सिंह ने अपनी जान देकर किया था। अगर प्रकाश सिंह बादल के बारे में एक लाइन में उनकी पंजाब को उपलब्धि के बारे में लिखना हो तो हम क्या लिखेंगे। कुछ देर की चुप्पी के बाद बादल ने कहा कि पंजाब में हिंदू और सिखों के बीच खराब हुए सौहार्द को बनाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है। उन्हें सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए याद किया जाता रहेगा।
एनडीए के मुख्य सूत्रधार रहे बादल
प्रकाश सिंह बादल के व्यक्तित्व के बारे में कोई कुछ भी कहे यह बात लगभग सभी वर्गों के नेता कहते रहे कि वह पंजाब में संप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की सबसे बड़ी कड़ी हैं। 1995 में लंबे समय के बाद जब वह सक्रिय राजनीति में नए सिरे से आए तो पंजाब आतंकवाद के काले दौर से गुजर रहा था। मौका था कि वह किस तरह इस सौहार्द को फिर से बनाकर रखें। प्रकाश सिंह बादल ने 1996 में जब भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बना तो उसके मुख्य सूत्रधार वही रहे।
अटल बिहारी वाजपेयी को सबसे पहले समर्थन देने वाले बादल ही थे
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सबसे पहले समर्थन देने वाले प्रकाश सिंह बादल ही थे। उसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर तीन सरकारें सफलतापूर्वक चलाई और इसमें कई बड़े फैसले भी लिए। दोनों पार्टियों के बीच में कई बार मतभेद हुए, लेकिन हर बार बादल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को समझाने में कामयाब रहे।
आज वह हमारे बीच में नहीं हैं। 95 साल के प्रकाश सिंह बादल को जहां पंजाब के लिए उनके द्वारा किए गए कामों के जरिए याद किया जाएगा, वहीं सामाजिक सौहार्द में उनकी भूमिका को कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा और खुद प्रकाश सिंह बादल भी अंत तक यही चाहते रहे हैं कि यह सौहार्द पंजाब में सदा कायम रहना चाहिए।
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